Tuesday, February 26, 2013

विटामिन की कमी से गुजरते इस्लाम और कुरान में ये ज्ञान की बात क्यों नहीं  

 इस्लाम और कुरान में ये ज्ञान की बात क्यों नहीं  , जब सूअर के मांस में 20 प्रतिशत प्रोटीन होता है, यह आयरन के अलावा जिंक और सेलेनियम का भी अच्छा स्रोत है, इसमें भारी मात्रा में विटामिन बी पाया जाता है, इसके अलावा सूअर का मांस गाय के मुकाबले सस्ता भी है। और पेपेरोनी पिज़्ज़ा के शौक़ीन लोगों का तो कहना है कि इसका स्वाद गज़ब का होता है। 
फिर क्यों सरकार गौ हत्या को बढ़ावा दे रही है क्यों नहीं सभी इस्लाम और जिहाद के पुजारियों को सूअर खाने की सलाह देती , सरकार से प्रार्थना है कि वो सुअर के मांस के पोषक तत्वों का भी एक चार्ट बनवा कर स्कूली किताबों में छपवा दे। ताकि कुपोषण की मारी बदहाल जनता का सस्ते में भला हो सके............
जिहाद की लड़ाई में भारत की आजादी हुई तार - तार 

हैदराबाद में हुए बम धमाको से बेहद आहात हूँ और इश्वर से प्रार्थाना है की शहीदों की आत्मा को शांति प्रदान करे मेरी पूरी संवेदना इश दुःख की घडी में उन परिवारों के साथ है, पहले बंगाल और फिर अब हैदराबाद में हिन्दू बहुल क्षेत्रो में हो रहे हमले कांग्रेस की सरकार की असफलता का प्रमाण है सुचना होते हुए भी कोशिस नहीं की गई और अनेको हिन्दुओ की मौत हुई । इश्के लिए जिम्मेदार लोगो को मौत की सजा ही मिलनी चाहिए और जिहादी आतंकवाद को ख़त्म करने में सरकार नाकाम रही है क्यूंकि मुस्लिम वोट बैंक की निति की मानसिकता से ग्रस्त ये सरकार केवल मुस्लिम जिहादियों को शय दे रही है ।
वीर सावरकर जी को सत सत नमन  

पहले आप सब लोग टीवी इत्यादि पर देखते थे कि किसी भी महापुरुष और क्रांतिकारी के जन्मदिवस पर राजनेता और टीवी चेनलो वाले देशवासियों को बधाई देते थे | जब पुण्यतिथि आती थी तो राजनेता और टीवी न्यूज़ एंकर श्रधांजली अर्पित करते थे | और एक सन्देश देते थे कि किस प्रकार इन क्रांतिकारियों ने देश कि आज़ादी के आन्दोलन में अपना जीवन स्वाहा किया और देश के लिये जिए और मरे |

लेकिन पिछले कुछ समय से देखने में आ रहा है कि अनेको वीरो और महापुरुषों का जन्मदिवस आता है चला जाता है | उनकी पुण्यतिथि आती है लेकिन बस आती है और चली जाती है | कोई चर्चा नहीं होती टीवी पर | चर्चा होती है तो सलमान खान कि शादी कि , चर्चा होती है तो ऑस्कर अवार्डो कि, उन विदेशियों कि जिन्होंने इस देश को लुटा और खसोटा | चर्चा होती है की आज उस फ़िल्मी हीरो का जन्मदिन है आज उसने इतना बड़ा केक काटा, आज उसने बहुत बड़ी पार्टी दी |

आज के राजनेताओ को तो आप जानते ही है | जब दिल्ली में मदनमोहन मालवीय जी कि जयंती बनायीं गयी तो दिल्ली के 70 विधायक उसमे अनुपस्थित थे | आज सावरकर जी कि पुण्यतिथि है लेकिन कोई श्रधान्जली भरे दो शब्द नहीं कहेगा | क्या महापुरूषों को ऐसे ही भुला दिया जायेगा ?
धर्मनिरपेक्षता और देश भक्ति का सबसे बड़ा मापदंड भारत के पास है जिसके अनुसार अल्पसंख्यक (मुस्लिम और इसाई ) धर्मनिरपेक्ष है |

१. मुस्लिम जिहाद करे फिर भी धर्मनिरपेक्ष
2 . मुस्लिम राष्ट्रीय गान -राष्ट्रीय गीत न गए तो धार्मिक मामला
३. गौ हत्या करे तो भोजन की स्वतंत्रता
4 तिरंगे को जलाये और देश विरोधी नारे लगाये तो वो परेसान है
5. भारत माँ को गाली दे वो उसका अधिकार है
६. हिन्दू देवी देवताओ का अपमान करे वो धार्मिक आज़ादी है
७ आतंकियों का समर्थन करे तो अभिव्यक्ति की आज़ादी है

समझ नहीं आता किस संविधान में लिखा है की मुस्लिम देशद्रोह करे तो सम्मान बाकि सब अपमान,



इश चित्र को देख कर मुझे ये लगता है की गौ माता का इशे बड़ा अपराध और कुछ नहीं है की वो हम जैसे नापुन्शाको को अपना दूध पिलाती है , जिसे वो अपनी संतान समझ कर दूध पिलाती है वो ही उसका खून पिने में लगे है |
दुःख इश बात का है की मेरे करोडो भाई ऐसे है जो चाह कर भी कुछ नहीं करना चाहते वो कैसे सनातनी है जिनकी आत्मा उन्हें धिकारती नहीं है की उनकी माँ को कोई ऐसे हत्या करे और वो केवल ये ही बोल कर रह जाते है की ये गलत है नहीं होना चाहिए था लेकिन क्या एक सन्तान का केवल ये ही धर्म है या महात्मा गाँधी के शांति के पाठ को लेकर चलना है चाहे उसका परिणाम कुछ भी हो |

आज गौ वंश हम सनातनियो से अपनी रक्षा के लिए गुहार कर रही है |
कब होगी गौ हत्या बंद , क्या आप अपने नेताओ , से लिखित में ले सकते है की गौ हत्या कानून बनाओ और हमारा वोट लो |

- राकेश पाण्डेय , विहिप प्रचार -प्रसार - दिल्ली
९७१७३११७९४

Monday, February 25, 2013

सोये हुए लोकतंत्र में कब जागेगा हिन्दू...???

नई दिल्ली विहिप कार्यकारी अध्यक्ष डा प्रावीण भाई तोगडिया को जम्मू हवाई अड्डे पर रोके जाने पर नाराज बजरंग दल व विश्व हिन्दू परिषद ने जम्मू कश्मीर सरकार के तुगलकी फरमान को हिन्दुओं की आबाज को दबाने वाला बताया है विहिप के अनुसार संसद पर हमला करने वाले आतंकी अफजल की फांसी पर घडियाली आंसू बहाने तथा हाफिज सईद के साथियों को बचाने में लगी राज्य सरकार से और उम्मीद ही क्या की जा सकती है...???
आज देश की परिस्थिति ऐसी हो गई है की देश में मुस्लिम खुले आम आतंकियों का समर्थन करते है और राष्ट्रवादीयो का विरोध  क्या लोकतंत्र का ये ही अर्थ रह गया है जहाँ देश का अपमान हो?  हाल के दिनों में इस्लाम का पाप  कुछ ज्यादा ही भारत की संसद के सर पर चढ़ कर बोलने लगा है।  क्या राष्ट्रवाद, आतंकवाद से ज्यादा महत्वपूर्ण है?  राष्ट्र का इससे बड़ा अपमान ही क्या हो सकता जहाँ राष्ट्रगान किसी धर्म का विरोधी होयोग इश्वर विरोधी हो और नेता जनता विरोधी 
इस्लाम को वन्देमातरम से परहेज हैसूर्यनमस्कार से परहेज है,  भारत से परहेज है फिर इस्लाम को भारत में क्यों रहने का अधिकार है?  जब देशद्रोही और आतंकी (अफजल गुरु के समर्थन में हिंसा हो फिर कैसे मुस्लिम समाज राष्ट्रवादी हो सकता है? क्या देश की सरकार को दिखाई नहीं देता है? शायद वोट बैंक की राजनीती का महत्व ज्यादा है 
कांग्रेस के गुलाम देश में बहुल आबादी हिन्दुओ की है, बाबजूद इसके हिन्दू अपने अराध्य भगवन श्री राम जी का न तो मंदिर बना पाए और ना ही गो हत्या बंद करा पाये अब सरकार रामसेतु को तोड़ कर अपनी करोडो हिन्दुओ की धार्मिक और सांस्कृतिक आस्था के साथ खिलवाड़ कर रही है 
भगवान श्री राम, संघ – बजरंगदल या विहिप के ही अराध्य थे क्या? या फिर धर्मनिरपेक्षता के नाम पर हिन्दुओ के अराध्य के असित्व की रक्षा केवल व्यक्ति विशेष के हाथो में है? बाकि हिन्दू को केवल इस्लाम और मुहम्मद की ही चिंता है, ऐसा लगता है क्योंकि सरकार के बाशिंदे भी हिन्दुओं के नाम पर धब्बा दिखाई देते हैं। 
अब जब पानी सर से ऊपर आ गया है तब भी यदि हिन्दू समाज एक नहीं हुआ और अपना दोगलापन ख़तम नहीं किया तो वो दिन दूर नहीं जब भारत में हिन्दू माइनर हो जायेंगे और मस्जिदों और गिरजाघरों में जाकर अपनी आँखों से आंसू छलकायेंगे।
जागो हिन्दुओं जागो - जागो और जगाओ।
राकेश कुमार पांडेय - विश्व हिन्दू परिषद - दिल्ली


http://www.navhindustan.com/index.php?mod=article&cat=%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A4%95%E0%A5%80%E0%A4%AF&article=2175

Friday, February 22, 2013


हैदराबाद में हुए बम धमाको  से बेहद आहात हूँ  और इश्वर से प्रार्थाना है की शहीदों की आत्मा को शांति प्रदान करे मेरी पूरी संवेदना इश दुःख की घडी में उन परिवारों के साथ है, पहले बंगाल और फिर अब हैदराबाद में हिन्दू बहुल क्षेत्रो में हो  रहे हमले कांग्रेस की सरकार  की असफलता का प्रमाण है सुचना होते हुए भी कोशिस नहीं की गई और अनेको हिन्दुओ की मौत हुई । इश्के लिए जिम्मेदार लोगो को मौत की सजा ही मिलनी चाहिए और जिहादी आतंकवाद को ख़त्म करने में सरकार नाकाम रही है क्यूंकि मुस्लिम वोट बैंक की निति की मानसिकता से ग्रस्त ये सरकार केवल मुस्लिम जिहादियों को शय दे रही है ।

हर हर महादेव 

Thursday, February 21, 2013

कश्मीर में लोकतंत्र की हो रही हत्या , इस्लाम का गन्दा खेल 

आज विहिप के अंतराष्ट्रीय कार्य अध्यक्ष डॉ प्रवीन भाई तोगड़िया को सुबह सुबह जम्मू एअरपोर्ट पर रोक गया , जबकि उनकी यात्रा सुनियोजित थी सरकार को इश्क पता था फिर अचानक से उन्हें रोक दिया गया ।
क्या अपने ही देश में घुमने के लिए सरकार से अनुमति लेनी होगी क्या संविधान के विरुद्ध नहीं है ये ?

Wednesday, February 20, 2013

हिन्दू हो ये ही अपराध है ,मुसलमान तो बेचारा पाक साफ है

कोलकाता में हुए मुस्लिम दंगे देखने के बाद मेरे भाइयों कहाँ हो धर्मनिरपेक्षता के ठेकेदारों क्यों नहीं कुछ बोलते ...और हाँ बोलना अगर तो आवाज़ में वो ही दम , वो ही गुस्सा , वैसी ही ईमानदारी दिखाना जैसी गुजरात दंगे के बाद दिखाई थी , जैसी बाबरी ढाचे के गिरने के बाद दिखाई थी , वैसी है जैसी अफजल के मरने पर दिखाई थी ।
इश्के बाद अब यदि गुस्सा आये तो समझो की खून में पानी की मात्र अभी कम है , अपने फेसबुक पर विरोध नहीं किया इतना ही करो और अगर उन बंगाल के हिन्दुओ को मरने के लिए छोड़ देते है उनसे हमारा क्या रिश्ता ऐसा सोचने वाले मित्रो अगली बारी तुम्हारी न हो इश लिए जागो । क्या हम इतने इमानदार है की हिन्दू की जान बचाने के लिए ट्रको में भर कर कहीं जाये नहीं न लेकिन आपके ये कमजोर , मजबूर,गरीब ,असहाय मुस्लिम भाइयो ने कोल्कता में ऐसा किया और 200 हिन्दू घरो को जला दिया ,
हो रहा भारत निर्माण .....
मुझे याद है किसी ने मुझे कहा की उनके जैसे मत बनो , हमारे संस्कार ऐसा नहीं सिखाते लेकिन
हमारे संसकार ये तो सिखाते है की अपनी रक्षा करना अपराध नहीं है ।
देश विकाश क्र रहा है ऐसा विकाश तो ब्रिटेन , अम्रेरिका ,कहीं नहीं हुआ है ..मेरा कोई पढ़ा लिखा भाई मुझ अज्ञानी को समझाएगा की कैसा विकाश है ये हिन्दुओ के खून से विकाश और मुस्लिम के लिए .....
30 करोड़ हिज़ड़ो मुसलमानों को केवल मरना ही आता है इनका सूअर भाई ओवासी भी बोल क भाग गया था ।

नए धर्मनिर्पेक्षता के मुलायम चेहरे में इंडिया सर्वोपरि

कुछ दिनों पहले अफजल गुरु की फासी की सुबह राष्ट्रवादी लोगो ने जंतर मंतर पर ख़ुशी जाहिर की और मिठाइय बाटी भुत लंबे समय से इंसाफ के लिए बैठे सिपाहियों के परिवारों को सुकून मिला , लेकिन कुछ कम्युनिस्ट और मुस्लिम पंथ के लोग जिसमे कोई नेता नहीं बल्कि सब विद्यार्थी ही थे वहां अफजल गुरु जिनसे देश की संसद पर हमले में दोषी पाया गया,देश की लचर कानून व्यवस्था के बाद भी नहीं साबित कर पाया की वो बेगुनाह है फिर नजाने किस धर्म निरपेक्षता की परिभाषा से जम्मू कश्मीर के पढ़े लिखे अनपढ़ युवा वर्ग को वो शहीद नजर आता है , अलीगढ मुस्लिम विश्व विद्यालय में एक आतंकी के समर्थन में नारे लगाये जाते है इशे बड़ा उदाहरण विश्व में कोई नहीं दे सकता है की भारत का लोकतंत्र कितना महँ है जहाँ न केवल देश के बल्कि विदेशो के आतंकियों को पनाह देता है, और देश की अस्मिता से खिलवाड़ करने वालो को सुरक्षा देता है, मुझे दुःख होता है की कैसे किसी की हिम्मत हो सकती है की राष्ट्रगान का अपमान करे , कैसे राष्ट्रीय झंडे को जलाये , कैसे आतंवादी और देशद्रोही को सजा देने पर देश को आँखे दिखाये । क्या आपने ऐसा देश देखा है जहाँ एक आदमी देश का अपमान करे तो शांति और दूसरा व्यक्ति उसका विरोध करे तो सजा , क्या येही लोकतंत्र है ?
क्यों ? देश के सौ करोड़ हिन्दुओ को इश पर गुस्सा नहीं आता  है क्या आर्यों की संतानों का खून पानी बन गया है ?

Tuesday, February 19, 2013

मुस्लिम दंगो से धर्मंनिरपेक्षता की नई परिभाषा का निर्माण 

विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र और धर्मंनिरपेक्षता का सबसे बड़ा उदाहरण केवल एक मात्र भारत ही है ,आज के परिदृश्य में हिंदुस्तान ने  धर्मंनिरपेक्षता की परिभाषा को नए सिरे से निर्माण किया है , जिसमे हिन्दू बहुल समाज का विरोध और मुस्लिम और इसाई धर्म को प्रेम करना नए धर्मंनिरपेक्ष देश की मानसिक प्रतिक्रिया बन गया है ।
पश्चिम बंगाल के 24 परगना हिरोभंगा गाव के अंतर्गत आने वाले कुछ गावो में कल हुए मुस्लिम दंगो के विरोध में न तो देश की धर्मं निरपेक्ष मीडिया का कोई बयान आया और नहीं कोई विशेष कार्यक्रम । आखिर ऐसा क्यों है की मुस्लिम दंगे होते ही , मानव अधिकार की रट लगाने वाले महापुरुष अचानक से लुप्त हो जाते है और मीडिया की जुवान पे ऐसे ताले लगते है की मानो कुछ हुआ ही नहीं है ,धर्म निरपेक्षता का ज्ञान देने वाले न तो कोंग्रेस के पालतू कुत्ते ही बोलते है और नही हमारे देश के नव युवक जो सेकुलरवाद की बीमारी से ग्रस्त है , वो किसी सेक्युलर मेरे युवा मित्रो को नहीं दीखता को हिंदुत्व की बात करने पर ऐसे बौखलाते है मानो किसी ने उनको गली दे दी हो ।
हिंदुत्व की बात करते है जवाव में आता है ऐसी बाते करके विभाजन की इश्थिति उत्पन नहीं करनी चाहिए लेकिन जब मुस्लिम दंगे होते है तो वो कुछ ज्ञान नहीं देते और उस विषय को यदि उन्हें बताओ तो जवाब आता है :
जो हो गया सो हो गया उसको सबके बिच ऐसे बता के क्यों दंगे फैलाना चाहते हो , हम उनके जैसे नहीं है , सब एक जैसे नहीं है , बुरा हुआ ।
ऐसे जवाब के बाद जी में आता है की ऐसे नापुन्शाको को हिन्दू धर्म से बहार क्यों नहीं निकाल सकते , इन्हें तो ये भी बुरा लगता है की हम हिन्दू अपने आत्म सम्मान और आत्म रक्षा में यदि मुस्लिम विरोधी है तो कोई गलत नहीं है हम केवल सत्य दिखा , बता रहे है और अपने लोगो की रक्षा कर रहे है फिर ऐसे में क्यों हमे सम्प्रदायक कैसे हो जाते है ।

Thursday, February 14, 2013

देश को काट रही है धर्मनिर्पेक्षता की तलवार 

प्राचीन मालवा वर्तमान मध्यप्रदेश के धार में विद्वान कवि और साहित्यप्रेमी राजा भोज द्वारा संस्कृत अद्ध्यन का केंद्र सरस्वती मंदिर का निर्माण किया गया था जिसे १३०५ में इस्लामी आतंकी अलाउद्दीन खिलजी ने १२०० आचार्यों की हत्या कर अन्य कई मंदिरों और पाठशालाओं की तरह इसे भी नष्ट कर मस्जिद में परिवर्तित कर दिया था. यह मैं नही कांग्रेस-वामपंथी इतिहास बताता है. दुःख की बात है की अन्य अधिगृहित मंदिरों की तरह ये भी आजतक हिन्दुओ को पुनर्वापसी की राह देख रही है. सवाल है क्या देश में हिंदू-मुस्लिम भाईचारा तथा प्रेम और भाईचारा बढ़ाने का दायित्व सिर्फ हिंदुओं पर है? क्या मुस्लिम भाइयों का कर्तव्य नही है की वे अतीत में इस्लामी आतंकवादियों के शिकार हुए हिंदू मंदिरों और जिन इस्लामी आततायी आक्रमणकारियों के हिंसा और बलात्कार का शिकार हो वे खुद इस्लाम अपनाने को बाध्य हुए थे आज प्रजातान्त्रिक भारत में वे अपने हिंदू भाइयों की भावनाओं का ख्याल रखे? क्या ये प्रजातान्त्रिक भारत का कर्तव्य नही है की यह कम से कम वैसे अधिकृत मंदिरों जिसके लिए एतिहासिक और पुरातात्विक साक्ष्य उपलब्ध है और जहाँ अभी भी पूजा अर्चना जारी है उसे पूरी तरह हिंदुओं को सौंप दिया जाये भले ही जामा मस्जिद, ताजमहल, सलीम चिश्ती का दरगाह आदि पर यथास्थिति बनाये रखे. परन्तु, गाँधी नेहरु की दोगले धर्मनिरपेक्षता और इसके शिकार बने दोगले धर्मनिरपेक्षवादियों में एसी सकारात्मक सोच के लिए जगह ही कहाँ है. आश्चर्य की बात तो यह है की खुद को हिंदुओं का पैरोकार कहनेवाले नेता भी इसके सकारात्मक समाधान के प्रति लापरवाह है और इसका प्रत्यक्ष उदहारण भोजशाला का सरस्वती मंदिर है जहाँ आज भी नमाज की इजाजत दी जा रही है और हिंदुओं की भावनाओं के साथ खिलवाड़ की जा रही है.

ज्यादा से ज्यादा शेयर कीजिए , क्योंकि ये आपको कभी भी मिडिया नही दिखायेगा ,
भोजशाला एक सरस्वती मंदिर है..
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Check the documentary video, which shows the proof
Bhoj Shala - Ek Sangharsa Gatha : part - 1
http://www.youtube.com/watch?v=GC-wlQGZqJ0
Bhoj Shala - Ek Sangharsa Gatha : part - 2
http://www.youtube.com/watch?v=RM8nts9-iC4
Bhoj Shala - Ek Sangharsa Gatha : part - 3
http://www.youtube.com/watch?v=WswQ6fbPJvM
Bhoj Shala - Ek Sangharsa Gatha : part - 4
http://www.youtube.com/watch?v=Ab1UtWWNKSU


   
            

Wednesday, February 13, 2013


 हिन्दुओ की आस्था पर भाजपा का प्रहार !   
कैसे हिंदुत्व की पार्टी है 

हिन्दुओ के एक और 100 वर्ष पुराने धार्मिक स्थल भोजशाला (मध्य प्रदेश ) के सरसवती मंदिर को मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार मुसलमानों को देने का षड्यंत्र कर रही है , सरकार ने फैसला किया है की वहां मुस्लिम को नमाज पढने देने का मन बना लिया है क्या ऐसे मे भाजपा हिंदुत्व विरोधी काम करके अपने लिए मुस्लिम वोट खोज रही है  । हिंदूवादी के भेष में भाजपा के कुछ  नेता हिन्दू विर्दोधी तत्वो को संरक्षण देने के साथ उनके दुष्टहितो की पूर्ति करने का एक दुश्साह्सिक प्रयास कर रहे है, विराट हिन्दू समाज इसके लिए संघर्ष करेगा,आज हिन्दू अपने लोगो के हाथो मरने को मजबूर है क्यो ? दिल्ली में भाजपा के केंद्रीय कार्यालय के आगे कुछ हिंदूवादी संगठनो ने भाजपा के विरोध में प्रदर्शन किया आज इस्थिति ऐसी हो गई है की हिंदुत्व की राजनितिक पार्टी के नाम से बदनाम भाजपा अपने राज्य में ही हिंदुत्व को नहीं बचा पा रही है फिर कैसे गैर भाजपा वाले प्रदेशो में वो हिंदुत्व की कमान थमेगी , मुझे ये भी समझ नहीं आ रहा की कैसे कुछ हिंदूवादी संगठनो ने इश्क विरोध नहीं किया क्यों अब तक चुप है क्या भाजपा के लोगो से डरने लगे है या राजनितिक मनसा धार्मिक और राष्ट्रीय हित से ऊपर होने लगी है और यदि ऐसा है तो हिंदुत्व अपने विनाश के अंतिम चरम पर है और छन भर का मेहमान है । 
पुरे हिन्दू समाज को एक होकर दिखाना होगा वरना अंत ज्यादा दूर नहीं जब न हिंदुत्व होग नहीं हिन्दू ......

Tuesday, February 12, 2013

सरस्वती वंदना 

"ॐ सर्व मंगल मांग्लाये 
शिवे सर्वथ साधिके 
शरानिये त्रियाम्बिके देवी नारायणी नमस्तुते "




हे शारदे माँ हे शारदे माँ 
हे शारदे माँ हे शारदे माँ 

हे शारदे माँ हे शारदे माँ 
हे शारदे माँ हे शारदे माँ 

तू स्वर की देवी ये संगीत तुझसे 
हर शब्द तेरा है हर गीत तुझसे 

तू स्वर की देवी ये संगीत तुझसे 
हर शब्द तेरा है हर गीत तुझसे 

हम है अकेले , हम है अधूरे 
तेरी शरण में हमे प्यार दे माँ 

मुनियों ने समझी , गुनियों ने जानी 
वेदों की भाषा , पुरानो की वाणी 
मुनियों ने समझी , गुनियों ने जानी 

वेदों की भाषा , पुरानो की वाणी 

हम भी तो समझे , हम भी तो जाने 

विद्या का हमको अधिकार दे माँ 

तू श्वेत वरनी कमल पे विराजे,हाथों में वीणा,मुकुट सर पे साजे  
तू श्वेत वरनी कमल पे विराजे,हाथों में वीणा,मुकुट सर पे साजे  

मन से हमारे मिटाके अँधेरे ,हमको उजालों का संसार दे माँ ।।


ये कैसा देश प्रेम है जो इस देश की सरकारों को दिखाई नहीं देता.............?

यासीन के मंच पर आंतकी सरगना हाफिज सईद मौजूद 

संसद हमले के मुख्य आरोपी अफजल गुरु को फांसी दिए अब दो दिन बीत चुके है लेकिन उसकी मौत पर अब सियासत शुरू हो गई है। अफजल का परिवार जहां सरकार के फैसले का विरोध किया है तो वहीं जम्मू-कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला ने भी अपने बयान से साफ कर दिया है कि वो केन्द्र सरकार के इस फैसले से सहमत नहीं थे। अफजल गुरु की फांसी के विरोध में जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के मुखिया यासिन मलिक ने भी कल 1 दिन का भूख हड़ताल रखा।
इस्लामाबाद में यासीन के इस भूख हड़ताल के दौरान उसके मंच पर आंतकी सरगना हाफिज सईद नजर आया। यासीन मलिक ने अफजल गुरु का शव उसके परिवार वालों को लिए ये भूख हड़ताल रखी थी जिसमें भारत की मोस्ट वांटेड लिस्ट में शुमार आतंकी और लश्कर-ए-तैयबा का संस्थापक हाफिज सईद भी शामिल था। भूख हड़ताल के दौरान यासीन ने मंच से लोगों को संबोधित भी किया।
ऐसे में सवाल उठता है की यासीन का वो कौन सा जरूरी काम था जो पाकिस्तान में होना था जिसके लिए वो पाक गया था , आतंवादियों के साथ मंच पर बैठना देश की सरकार और धर्मनिपेक्षता वादी लोगो को क्यों नहीं दिखता , ऐसे में क्या मुसलमान शक के दायरे में नहीं आता । देश की परिस्थिति देख कर मुझे लगता है की आपातकाल का दौर निकट है क्यों की कुछ लोगो के बर्दास्त करने की छमता अब लगभग ख़त्म होने लगी है ।


Monday, February 11, 2013

प्रेस विज्ञप्ति :

                                       
प्रेस विज्ञप्ति :

शोक सन्देश 


महाकुम्भ में हुए प्रायोजित हादसा बेहद दुखद है और प्रसाशन और सरकार की मनसा का पता चलता है की हिन्दुओ के सबसे बड़े जमावड़े को विकृत करने की मनसा थी, उत्तर प्रदेश की मुस्लिम सरकार ने ये कर के साबित किया है की हिन्दुओ के लिए कोई सोचने वाला नहीं है और आजम खान को मेल प्रभारी से पद से हटाना महज एक ड्रामा मात्र है ।जिहाद का नया स्वरूप है उत्तर प्रदेश की सरकार । युवा ब्राह्मण महासभा आहात है इश घटना से और हम उन परिवारों के साथ है जिन्होंने अपने परिवार के सदस्य को इश हादसे में खो दिया है । महाकुम्भ के  शुभ अवसर पर स्नान के लिए गए करोडो हिन्दुओ के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी ये एक गंभीर सवाल है , घटना के समय युवा ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री विकाश पाण्डेय वहां उपस्थित थे जो स्वयं घटना का शिकार होने से बाख गये और घायल लोगो की सहायता में लगे रहे ।
मै अपनी पूरी संवेदना व्यक्त करता हूँ उनके लिए जो महाकुम्भ में शहीद हुए और जो भी जिम्मेदार है इश हत्याकांड के लिए उनके लिए सजा हो ऐसी मेरी इच्छा है ।


राकेश कुमार पाण्डेय 
राष्ट्रीय महामंत्री युवा ब्राह्मण महासभा 

क्या है हिन्दू धर्म






"हिंदू धर्म दुनिया में सबसे प्राचीन धर्म है. यह सनातन धर्म के रूप में भी जाना जाता है, जिसका मतलब है 'सत्य का अनन्त पथ' । वास्तव में यह दुनिया का एकमात्र धर्म है, जो धर्मान्तरण को बाध्य नहीं करता ।
यह एक धर्म से अधिक है, यह जीवन का एक रास्ता है । यह धर्म किसी इंसान द्वारा बनाया नहीं गया , किसी नबी द्वारा स्थापित नहीं किया गया ।इसका तो कोई मूल और कोई अंत नहीं है । यह स्वतंत्रता का धर्म है और अधिकांश अन्य धर्मों के विपरीत, यह विश्वास और पूजा की विधा की पूर्ण स्वतंत्रता की अनुमति देता है । वास्तव में, यह दुनिया में एक मात्र धर्म है, जो मनुष्य द्वारा अपनी इच्छा एवं विधि से सर्वशक्तिमान की अराधना के अधिकार को सम्मान देता है ।
हिंदू धर्म के इतिहास से साबित कर दिया है कि यह एक जीवंत शक्ति है । शत्रुतापूर्ण शासकों और विदेशी हमलावरों के प्रयत्नों के बाद भी यह निर्वासित नहीं है क्योंकि यह आत्म-अनुभव और आत्म - बोध का धर्म है । यह किसी भी हठधर्मिता अथवा नियमावली पे अंधविश्वास करने पर आधारित नहीं है अतः इसमें आस्तिकता को भी स्वीकार किया गया है । इसके बाद भी सनातन धर्म में सर्वशक्तिमान परमेश्वर की करीबी समझ और संबंध हैं ।.."


(Hinduism is the most Ancient religion in the world. It is also known as Sanatan Dharma, which means the eternal right path. In fact it is the only religion in the world, which does not encourage conversion.

It is more than a religion; it is a way of life. It is not a man made religion, founded or created by any prophet. It has no origin and no end. It is a religion of freedom and, unlike most other religions; it allows absolute freedom of one's faith and mode of worship. Indeed, it is the only religion in the world, which respects the right of people to realize the Almighty by their own free will.

The history of Hinduism has proved that it is a living force. Both hostile rulers and foreign aggressors could not banish it because it is a religion of self-experience and self-realization. It is not based on any dogmas or set of rules to be accepted with blind faith which is why atheism is accepted in it. Yet, Hinduism has a very close understanding of and relationship with the Almighty God."
भारत के लोकतन्त का सबसे घिनोना और शर्मनाक सच 
ये कैसा लोकतंत्र है 

शनिवार 09 फरवरी 2013 को जंतर मंतर पर अफजल को फासी देने की ख़ुशी में लोग जशन मना रहे थे की देश के सहीदो को इंसाफ मिला बेशक देर से ही मिला , बजरंग दल और अन्य राष्ट्रवादी लोगो और संगठनो ने खुशी जाहिर की और सरकार को धन्यवाद दिया ।
लोकतंत्र में सबको बोलने का हक है लेकिन क्या आतंकी का , देश के दुश्मन का समर्थन लोकतंत्र है , जंतर मन्त्र पर जो हुआ वो शयद देश के लोगो को दिखेगा नहीं , कश्मीरी स्टूडेंट और जवाहर लाल नेहरु के स्टूडेंट अफजल की फासी का विरोध क्र रहे थे यहाँ तक की एक लड़की मांग क्र रही थी की वो भी अफजल गुरु है उसको भी फासी दो क्या ये देश द्रोह नहीं नहीं जब तोगड़िया, वरुण गाँधी , के राष्ट्र हित की बात देश विरोधी है तो ये कौन है जो आतंकवादी का समर्थन करते है और दुश्मनों को शक्ति दे रहे है ।
हमारे युवा वर्ग का न्य हीरो पेंटर असीम त्रिवेदी ( देशद्रोही ) , और jnu स्टूडेंट की सचिव कृष्णन ये सब देश द्रोही वहां अफजल गुरु के लिए इंसाफ मांग रहे थे जिनकी पिटाई बजरंग दल के लोगो नै की क्या ये गलत है फिर भी कुछ लोगो हमे भगवा आतंकी बोलते है ।
अगर देशद्रोहियों को मरना , आतंकवाद है तो हम आतंकवादी ही ठीक है सेक्युलर नहीं होना हमे ।





हिन्दुओ के सबसे बड़े आस्था कुम्भ पर इस्लामिक जिहाद का प्रहार

 इलाहाबाद कुम्भ से वापस आने वाले हिन्दुओ  के साथ  हुए हादसे ने देश के सामने उत्तर प्रदेश के प्रशाशन और उसकी व्यवस्था की पोल खोल दी है और ये साबित कर दिया है की हिंदुस्तान में केवल मुस्लिम यात्रियों ,और हज यात्रा के लिए सरकार के पास बेहतर व्यवस्था सदेव रहती है और हिन्दुओ से जजिया कर ( महाकुम्भ पर अतिरिक्त शुल्क ) देने के बाद भी ऐसा पक्षपात से भरा व्यवहार हिन्दुओ को दिखने लगा है और हिन्दू अब सहन नहीं करेगा ।
अखिलेश यादव को ये जवाब देना होगा की इश पुरे हत्या कांड में मुलायम और कौन कौन शामिल है 

1.हिन्दुओ के सबसे बड़े महाकुम्भ की व्यवस्था देशद्रोही आजम को ही क्यों दी गई ?
2. अधिक संख्या में लोगो को आना था तो बेहतर रेल व्यवस्था क्यों नहीं ?
3. श्रद्धालु पर लाठी क्यों चलाई गई ?
4. चिकित्सा के बेहतर प्रबंध क्यों नहीं थे ?




मेंरी दर्द से भरी कलम को आज कोई रोक न पायेगा...
जितना मिटाने की कोशिश करेगा जमाना...
"उससे कई गुना लिखा जायेगा।"

Friday, February 08, 2013


डॉ प्रवीन तोगड़िया के बात से विवाद आखिर क्यों  ?





विश्व हिन्दू परिषद के अंतराष्ट्रीय कार्य अध्यक्ष डॉ प्रवीन भाई तोगड़िया के 22 जनवरी को भोकर में दिए एक वक्तव्य पर इतना हंगामा हो रहा है , ओवासी के हिन्दूओ को मरने की बात के विरोध में डॉ तोगड़िया ने एक वक्तव्य में बोल की पुलिस हटाने के नतीजे नहीं जानते तो पुराना इतिहास देखो , और जो अपने घर से धमकता हो वो शेर नहीं कुत्ता होता है , इश पुरे भाषण में नहीं समझ आता की किसी धार्मिक समुदाय को बुरा कहाँ बोल , कहाँ से दो समुदायों के बीच द्वेष फ़ैलाने का काम किया , तोगड़िया ने ऐसा क्या बोल की सरकार अचानक से घबरा गई लेकिन उसे भी बड़ी बात की एक मुस्लिम महिला ने प्रवीन तोगड़िया को गली दे दी और कहा की "गोली मार दो तोगड़िया को " फिर इस शब्द को भी उसी दायरे में होना चाहिए ये तो शत प्रतिशत दंगे भड़काने वाला शब्द है हिन्दू हृदय सम्राट की उपाधि लिए तोगड़िया के लिए ऐसे शब्दों का प्रयोग करने वाली महिला की आपराधि नहीं है या वो मुस्लिम है इश लिए उसका अपराध - अपराध नहीं है ।

हिन्दू राष्ट्र में हिन्दू अल्पसंख्यक की इश्तिती में आ गया है की हिंदुत्व की बात अपराध होने लगी है और हिन्दू विरोधी बात राष्ट्र हित में नजर आ रही है , दिग्गी , शिंदे और अन्य महापुरुष है जो इस हिन्दू विरोधी परिस्थिति में विभीषण का कम कर रहे है । 1947 में देश धर्म के आधार पे बना हिंदुस्तान ( हिन्दू राष्ट ) और पाकिस्तान ( मुस्लिम राष्ट्र ) लेकिन पाकिस्तान के साथ इंसाफ हुआ लेकिन अचानक से मुस्लिम जमात में गॉद ली हुई औलाद नेहरु -गाँधी को फिर से फसाद जी जड़ को यहीं पालने का निर्णय लेकर एक नहीं 4 नए मुस्लिम राष्ट्र की नीव रख दी और देश का संविधान धर्म आधारित नहीं पंथ आधारित रखा, जिसका नतीजा आज हिन्दू  धर्म आधारित संविधान की मार को झेल रहा है , सेकुलरवाद की बीमारी हिंदुस्तान को निगल चुकी है वो समय ज्यादा दूर नहीं जब हिन्दुओ का अस्तित्व विश्व में कहीं नहीं होगा ।
हिन्दू सदेव उदार रहा है लेकिन इश्क ये अर्थ नहीं की जो अपने अस्तित्व और सांस्कृतिक अस्मिता की बात करता है वो देशद्रोही है और किसी भी देश में अगर विद्रोह किया संघर्ष किया अपने अस्तित्व के लिए तो वो योद्धा कहलाये लेकिन आर्यों के इश नए खून में नमर्दानी और धर्मनिरपेक्षता का पानी भर गया है जो अपने हित को भी नहीं देखता ।


















विहिप की धर्म संसद से सेक्युलर प्रजाति में भूचाल 



इलाहाबाद :
प्रयाग महाकुम्भ में 7 फरवरी 2013 को हुए विश्व हिन्दू परिषद ( विहिप ) की धर्म संसद में संघ , भाजपा और अनेको हिंदूवादी संगठनो ने उपस्तिथ हो कर अपनी सहमती दर्ज की , संतो ने हिंदुत्व गंगा रक्षा , गौ रक्षा , और सबसे अहम् विषय भगवन श्री राम की जन्म स्थाली में राम मंदिर निर्माण को बनाने की बात को कहा और हिन्दू वादी को देश का नेता बनाने की संतो की बात पर सबको ऐसा लगा की विहिप और संघ हाफिज सईद को देश का प्रधान मंत्री बनाने की बात क्र रहा हो , वैसे अगर विहिप और संत सईद का नाम लेते तो शयद सेक्युलर जमात शांत रहती ।
क्या देश के संत निराकुश शासन के लिए संत की आवश्यकता होती है और अंकुश किसी को पसंद नहीं इशी लिए तो संतो की बात पर राजनीती होने लगी है , जब देश का राष्ट्रपति मुस्लिम बनता है , इसाई केंद्रीय मंत्री बनता है तब क्यों नहीं विरोध होता लेकिन जैसे ही हिंदूवादी प्रधानमंत्री की बात होती है ऐसा लगता है की कोई अपराध होने वाला है ।
लेकिन हिंदूवादी नेता के साथ भगवान राम का मंदिर बने इशे ज्यादा महत्वपर्ण कुछ नहीं है , भाजपा को अगर इस बार सत्ता में आना है तो इमानदार होना पड़ेगा और मंदिर के लिए इमानदार होना होगा और मंदिर निर्माण करना होगा वरना भाजपा को राजनीती बंद करनी पड़ेगी अन्यथा मूल भावना को मरना होगा ।

Wednesday, February 06, 2013




माथे पर क्यों लगाते हैं तिलक, क्या है इसका राज


हिन्दू आध्यात्म की असली पहचान है तिलक से होती है। यह मान्यता है कि तिलक लगाने से समाज में मस्तिष्क हमेशा गर्व से ऊंचा होता है। हिंदू परिवारों में किसी भी शुभ कार्य में "तिलक या टीका" लगाने का विधान हैं। यह तिलक कई वस्तुओ और पदार्थों से लगाया जाता हैं। इनमें हल्दी, सिन्दूर, केशर, भस्म और चंदन आदि प्रमुख हैं। परन्तु क्या आप जानते हैं कि इस तिलक लगाने के प्रति भावना क्या छिपी हैं?

संगम तट पर लगे आस्था के कुंभ में इन दिनों पहुंचे हज़ारों संतो के एक से एक अनोखे तिलक उन को लुभाने का काम कर रहे हैं। संत पूजन-अर्चन के अलवा माथे पर तिलक लगाने का विशेष विधान करते हैं। यह वर्णन मिलता है कि संगम तट पर गंगा स्नान के बाद तिलक लगाने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। यही कारण है की स्नान करने के बाद पंडों द्वारा विशेष तिलक अपने भक्तों को लगाया जाता है।

माथे पर तिलक लगाने के पीछे आध्यात्मिक महत्व है। दरअसल, हमारे शरीर में सात सूक्ष्म ऊर्जा केंद्र होते हैं, जो अपार शक्ति के भंडार हैं। इन्हें चक्र कहा जाता है। माथे के बीच में जहां तिलक लगाते हैं, वहां आज्ञाचक्र होता है। यह चक्र हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है, जहां शरीर की प्रमुख तीन नाडि़यां इड़ा, पिंगला व सुषुम्ना आकर मिलती हैं। इसलिए इसे त्रिवेणी या संगम भी कहा जाता है। यह गुरु स्थान कहलाता है। यहीं से पूरे शरीर का संचालन होता है।


यही हमारी चेतना का मुख्य स्थान भी है। इसी को मन का घर भी कहा जाता है। इसी कारण यह स्थान शरीर में सबसे ज्यादा पूजनीय है। योग में ध्यान के समय इसी स्थान पर मन को एकाग्र किया जाता है। तिलक लगाने से एक तो स्वभाव में सुधार आता हैं व देखने वाले पर सात्विक प्रभाव पड़ता हैं।

तिलक जिस भी पदार्थ का लगाया जाता हैं उस पदार्थ की ज़रूरत अगर शरीर को होती हैं तो वह भी पूर्ण हो जाती हैं।तिलक किसी खास प्रयोजन के लिए भी लगाये जाते हैं जैसे यदि मोक्षप्राप्ती करनी हो तो तिलक अंगूठे से, शत्रु नाश करना हो तो तर्जनी से, धनप्राप्ति हेतु मध्यमा से तथा शान्ति प्राप्ति हेतु अनामिका से लगाया जाता हैं।

आमतौर से तिलक अनामिका द्वारा लगाया जाता हैं और उसमे भी केवल चंदन ही लगाया जाता हैं तिलक संग चावल लगाने से लक्ष्मी को आकर्षित करने का तथा ठंडक व सात्विकता प्रदान करने का निमित छुपा हुआ होता हैं।

अतः प्रत्येक व्यक्ति को तिलक ज़रूर लगाना चाहिए। मान्यताओं के अनुसार सूने मस्तक को शुभ नहीं माना जाता। माथे पर चंदन, रोली, कुमकुम, सिंदूर या भस्म का तिलक लगाया जाता है।

तिलक हिंदू संस्कृति में एक पहचान चिन्ह का काम करता है। तिलक केवल धार्मिक मान्यता नहीं है बल्कि इसके कई वैज्ञानिक कारण भी हैं हिंदू धर्म में जितने संतों के मत हैं, जितने पंथ है, संप्रदाय हैं उन सबके अपने अलग-अलग तिलक होते हैं। तंत्र शास्त्र में पंच गंध या अस्ट गंध से बने तिलक लगाने का बड़ा ही महत्व है।

तंत्र शास्त्र में शरीर के तेरह भागों पर तिलक करने की बात कही गई है, लेकिन समस्त शरीर का संचालन मस्तिष्क करता है। इसलिए इस पर तिलक करने की परंपरा अधिक प्रचलित है। तिलक लगाने में सहायक हाथ की अलग-अलग अंगुलियों का भी अपना महत्व है।


Monday, February 04, 2013

संत समाज के हिद्नुत्ववादी नेता के निर्णय से जदयू को आपत्ति क्यों ?



जदयू और अनेको सेकुलरवादी राजनितिक पार्टियों को किस बात से आपत्ति है , संत समाज नरेंद्र मोदी के नाम को भाजपा और हिंदुत्व का चेहरा बना कर सामने लेन वाले है इस बात से नाराज हो रहे है या इश बात से की इन सेकुलरवादियों की मुस्लिम वोट बैंक की राजनीती को बेअसर करने वाला निर्णय साबित न हो जाये इश लिए नाराज है , शिवानन्द तिवारी को सेक्युलर वादी मानसिकता ने ऐसा जकड़ा है की अपने इतिहास और संस्कृति का बोध रहा नहीं है और कुछ दिनों में अपने ही अस्तित्व को मानने से इंकार करने लगेंगे ।
शयद वो भूल गए है की संत समाज भारतीय संस्कृति की नीव है समाज और प्रकृति के बीच का माध्यम है जिसके माध्यम से इश्वर की शक्ति को बोध होता है और नैतिकता का बोध करने वाले ही संत है , स्वयं ब्राह्मण होने के बाद भी ऐसे अज्ञान की बात तो केवल शिवानन्द तिवारी और ऐसे अज्ञानी ही कर सकते है ।
7 फरवरी को होने वाले हिन्दू संसद से पूरा सेकुलर और कांग्रेसी बिरादरी भयभीत है , धुर हिंदुविरोधी दिग्विजय सिंह की हंसी इश्क प्रमाण है जो व्यक्ति कल तक हिन्दुओ को आतंकी और हिंदुत्व को अपराध बोलता था वो अचानक से स्वयं हो भी हिन्दू बोलने लगे तो इसका क्या अर्थ होना ।
भाजपा (एन डी ए ) घटक दल की सबसे बड़ी पार्टी है फिर जब प्रधानमंत्री के लिए अपना उम्मीदवार उसे ही चुनना है तो वो संतो को इसका अधिकार दे या संघ को या विहिप और या किसी पार्टी कार्यकर्ता से फिर ऐसे में जदयू को विरोध क्यों है ? जब ये भाजपा का स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने का अधिकार है ।
मोदी के केंद्रीय राजनीती में आने से भाजपा के गठबंधन में भूचाल क्यों ?


नरेन्द्र दामोदर भाई मोदी ये नाम किसी से छुपा नहीं है की देश की राजनीती और उसमे हडकंप लगे में कितना सामर्थ्य रखता है ,गोधरा के बाद गुजरात में हुए दंगो से प्रसिद्ध मोदी भाजपा के सबसे प्रसिद्ध और चर्चित नेता मने जाते है , और संघ की विचारधारा को जमीनी स्तर दे रहे है ऐसे में भाजपा शीर्ष का परिवर्तन और राजनाथ सिंह जी का पद ग्रहण एक बड़े निर्णय लेने की दिशा में बड़ा कदम जैसा है संघ ने इश परिवर्तन से दिखाया है की 2014 को गंभीर रूप से देखजा रहा है और मोदी की दावेदारी पर मोहर लग ने की पूरी कोशिस होगी , विहिप के संरक्षक माननीय श्री अशोक जी सिंघल का खुला समर्थन और प्रयाग  महाकुम्भ में 7 फरवरी को संतो के माध्यम से बड़े काम का आरम्भ करने की बात कह कर ये बताया है भाजपा को यदि सत्ता में आना और रहना है तो हिंदुत्व के दम पर ही आ सकते है और 100 करोड़ हिन्दुओ से धोखा और छल ही उनके पतन का करण है ।
मुझे लगता है की अडवाणी जी का सेक्युलर होने की बात से जो हडकंप संघ और संघ से हिन्दुत्ववादी स्वयंसेवकों में हुआ उसका ही नतीजा है की राजनाथ पार्टी शीर्ष पर एक बार दुबारा आये , लेकिन राजनाथ जी के आगे एक समस्या है भाजपा के घटक दलों को बनाये रखना और मोदी को अपना प्रधानमंत्री का योग्य उम्मीदवार घोषित करना , लेकिन ये राह आसन नहीं है कुछ लोगो को मोदी के आने से स्वयं के अस्तित्व का खतरा लग रहा है तो किसी को सेक्युलरवादी छवी को बनाये रखना है ।

Friday, February 01, 2013




विहिप कार्याध्यक्ष  डॉ प्रवीन तोगड़िया के लिए आज कल जिस प्रकार के अपशब्दों का प्रयोग हो रहा है वो भी उस हिन्दू समाज के द्वारा जिसके लिए सर्वत्र नियोछावर कर दिया , राजनीती और राष्ट्रनीति में समानता नहीं आ सकती हो दोनों का अपना अलग महत्त्व है दोनों के द्वारा किया गया कार्य अपने आप में सम्मान के योग्य है लेकिन श्रेष्ठ राष्ट्रनीति होती है ।
आज के परिद्रश्य में मोदी व तोगड़िया युद्ध बन गया है आपसी मतभेद का लाभ अवसरवादियों को मिल गया है और इश मतभेद को मन भेद की इश्थिति में लेकर आ गये है और डॉ तोगड़िया का विरोध करने में पूरी शक्ति और 21 वि शताब्दी के भारत में जिस प्रकार से कुप्रचार कर सकते है करने में लगे है , लेकिन मेरा पहला प्रश्न उन लोगो से है जिन्होंने उस राजनितिक जमात की भाषा को अपनी और हिन्दुओ की भाषा मान लिया है क्या वो बता सकते है की यदि मोदी हिंदुत्व के प्रबल समर्थक है तो क्यों गुजरात में 2012 के विधानसभा चुनावो के समय हिन्दुओ की आस्था पर वार हुआ और वर्षो पुराने हिन्दू मंदिर को तोड़ दिया गया विश्व और पूरा मुस्लिम समाज उन्हें कट्टर हिंदूवादी मानता है फिर हिन्दू विरोधी काम पर शांति और करने देना किस हिदुत्व का समर्थन है ऐसा न सोचे की मैं मोदी का विरोधी हु लेकिन हमे याद रखना होगा की मोदी केवल राजनीती का हिस्सा है और अब उनकी नजर देश का सेनापति बनने की है मै इस बात से खुश हु की वो प्रधानमंत्री बनेगे लेकिन हिंदुत्व की विचारधारा को लेकर प्रधानमंत्री बनना मुश्किल हो रहा है ऐसे में मंदिर का तोडा जाना गुजरात सरकार का चुप रहना केवल राजनीती है इश पर तोगड़िया या कोई भी हिन्दू या स्वयंसेवक विरोध करे तो क्या गलत है हम हिंदुत्व के गुलाम है न की भाजपा के ।
भाजपा को हिंदुत्व की इतनी ही चिंता थी तो क्यों नहीं 1993 में सरकार बनते ही राम मंदिर क्यों नहीं बनाया ?
भाजपा को हिंदुत्व की बात करना बेईमानी लगती है कभी कभी तो क्यूंकि भाजपा का अल्पसंख्यक मोर्चा , मुस्लिम नेता , आडवानी का जिन्ना प्रेम और सेकुलरिज्म , ऐसे में केवल राजनीती ही होनी चाहिए या राष्ट्रनिति की भी उतनी ही अहमियत होनी चाहिए न की केवल राजनीती की ।

Spicejet Against IndianArmy

सेना के जवान से दुर्व्यवहार करते एयरलाइंस।  =========== देश के लिए जान हथेली पर ले के जाने वाले सैनिकों से इस तरह की उगाही पर  रोक लगनी चाहि...