Wednesday, February 20, 2013

नए धर्मनिर्पेक्षता के मुलायम चेहरे में इंडिया सर्वोपरि

कुछ दिनों पहले अफजल गुरु की फासी की सुबह राष्ट्रवादी लोगो ने जंतर मंतर पर ख़ुशी जाहिर की और मिठाइय बाटी भुत लंबे समय से इंसाफ के लिए बैठे सिपाहियों के परिवारों को सुकून मिला , लेकिन कुछ कम्युनिस्ट और मुस्लिम पंथ के लोग जिसमे कोई नेता नहीं बल्कि सब विद्यार्थी ही थे वहां अफजल गुरु जिनसे देश की संसद पर हमले में दोषी पाया गया,देश की लचर कानून व्यवस्था के बाद भी नहीं साबित कर पाया की वो बेगुनाह है फिर नजाने किस धर्म निरपेक्षता की परिभाषा से जम्मू कश्मीर के पढ़े लिखे अनपढ़ युवा वर्ग को वो शहीद नजर आता है , अलीगढ मुस्लिम विश्व विद्यालय में एक आतंकी के समर्थन में नारे लगाये जाते है इशे बड़ा उदाहरण विश्व में कोई नहीं दे सकता है की भारत का लोकतंत्र कितना महँ है जहाँ न केवल देश के बल्कि विदेशो के आतंकियों को पनाह देता है, और देश की अस्मिता से खिलवाड़ करने वालो को सुरक्षा देता है, मुझे दुःख होता है की कैसे किसी की हिम्मत हो सकती है की राष्ट्रगान का अपमान करे , कैसे राष्ट्रीय झंडे को जलाये , कैसे आतंवादी और देशद्रोही को सजा देने पर देश को आँखे दिखाये । क्या आपने ऐसा देश देखा है जहाँ एक आदमी देश का अपमान करे तो शांति और दूसरा व्यक्ति उसका विरोध करे तो सजा , क्या येही लोकतंत्र है ?
क्यों ? देश के सौ करोड़ हिन्दुओ को इश पर गुस्सा नहीं आता  है क्या आर्यों की संतानों का खून पानी बन गया है ?

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