Tuesday, February 19, 2013

मुस्लिम दंगो से धर्मंनिरपेक्षता की नई परिभाषा का निर्माण 

विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र और धर्मंनिरपेक्षता का सबसे बड़ा उदाहरण केवल एक मात्र भारत ही है ,आज के परिदृश्य में हिंदुस्तान ने  धर्मंनिरपेक्षता की परिभाषा को नए सिरे से निर्माण किया है , जिसमे हिन्दू बहुल समाज का विरोध और मुस्लिम और इसाई धर्म को प्रेम करना नए धर्मंनिरपेक्ष देश की मानसिक प्रतिक्रिया बन गया है ।
पश्चिम बंगाल के 24 परगना हिरोभंगा गाव के अंतर्गत आने वाले कुछ गावो में कल हुए मुस्लिम दंगो के विरोध में न तो देश की धर्मं निरपेक्ष मीडिया का कोई बयान आया और नहीं कोई विशेष कार्यक्रम । आखिर ऐसा क्यों है की मुस्लिम दंगे होते ही , मानव अधिकार की रट लगाने वाले महापुरुष अचानक से लुप्त हो जाते है और मीडिया की जुवान पे ऐसे ताले लगते है की मानो कुछ हुआ ही नहीं है ,धर्म निरपेक्षता का ज्ञान देने वाले न तो कोंग्रेस के पालतू कुत्ते ही बोलते है और नही हमारे देश के नव युवक जो सेकुलरवाद की बीमारी से ग्रस्त है , वो किसी सेक्युलर मेरे युवा मित्रो को नहीं दीखता को हिंदुत्व की बात करने पर ऐसे बौखलाते है मानो किसी ने उनको गली दे दी हो ।
हिंदुत्व की बात करते है जवाव में आता है ऐसी बाते करके विभाजन की इश्थिति उत्पन नहीं करनी चाहिए लेकिन जब मुस्लिम दंगे होते है तो वो कुछ ज्ञान नहीं देते और उस विषय को यदि उन्हें बताओ तो जवाब आता है :
जो हो गया सो हो गया उसको सबके बिच ऐसे बता के क्यों दंगे फैलाना चाहते हो , हम उनके जैसे नहीं है , सब एक जैसे नहीं है , बुरा हुआ ।
ऐसे जवाब के बाद जी में आता है की ऐसे नापुन्शाको को हिन्दू धर्म से बहार क्यों नहीं निकाल सकते , इन्हें तो ये भी बुरा लगता है की हम हिन्दू अपने आत्म सम्मान और आत्म रक्षा में यदि मुस्लिम विरोधी है तो कोई गलत नहीं है हम केवल सत्य दिखा , बता रहे है और अपने लोगो की रक्षा कर रहे है फिर ऐसे में क्यों हमे सम्प्रदायक कैसे हो जाते है ।

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