मोदी के केंद्रीय राजनीती में आने से भाजपा के गठबंधन में भूचाल क्यों ?
नरेन्द्र दामोदर भाई मोदी ये नाम किसी से छुपा नहीं है की देश की राजनीती और उसमे हडकंप लगे में कितना सामर्थ्य रखता है ,गोधरा के बाद गुजरात में हुए दंगो से प्रसिद्ध मोदी भाजपा के सबसे प्रसिद्ध और चर्चित नेता मने जाते है , और संघ की विचारधारा को जमीनी स्तर दे रहे है ऐसे में भाजपा शीर्ष का परिवर्तन और राजनाथ सिंह जी का पद ग्रहण एक बड़े निर्णय लेने की दिशा में बड़ा कदम जैसा है संघ ने इश परिवर्तन से दिखाया है की 2014 को गंभीर रूप से देखजा रहा है और मोदी की दावेदारी पर मोहर लग ने की पूरी कोशिस होगी , विहिप के संरक्षक माननीय श्री अशोक जी सिंघल का खुला समर्थन और प्रयाग महाकुम्भ में 7 फरवरी को संतो के माध्यम से बड़े काम का आरम्भ करने की बात कह कर ये बताया है भाजपा को यदि सत्ता में आना और रहना है तो हिंदुत्व के दम पर ही आ सकते है और 100 करोड़ हिन्दुओ से धोखा और छल ही उनके पतन का करण है ।
मुझे लगता है की अडवाणी जी का सेक्युलर होने की बात से जो हडकंप संघ और संघ से हिन्दुत्ववादी स्वयंसेवकों में हुआ उसका ही नतीजा है की राजनाथ पार्टी शीर्ष पर एक बार दुबारा आये , लेकिन राजनाथ जी के आगे एक समस्या है भाजपा के घटक दलों को बनाये रखना और मोदी को अपना प्रधानमंत्री का योग्य उम्मीदवार घोषित करना , लेकिन ये राह आसन नहीं है कुछ लोगो को मोदी के आने से स्वयं के अस्तित्व का खतरा लग रहा है तो किसी को सेक्युलरवादी छवी को बनाये रखना है ।
नरेन्द्र दामोदर भाई मोदी ये नाम किसी से छुपा नहीं है की देश की राजनीती और उसमे हडकंप लगे में कितना सामर्थ्य रखता है ,गोधरा के बाद गुजरात में हुए दंगो से प्रसिद्ध मोदी भाजपा के सबसे प्रसिद्ध और चर्चित नेता मने जाते है , और संघ की विचारधारा को जमीनी स्तर दे रहे है ऐसे में भाजपा शीर्ष का परिवर्तन और राजनाथ सिंह जी का पद ग्रहण एक बड़े निर्णय लेने की दिशा में बड़ा कदम जैसा है संघ ने इश परिवर्तन से दिखाया है की 2014 को गंभीर रूप से देखजा रहा है और मोदी की दावेदारी पर मोहर लग ने की पूरी कोशिस होगी , विहिप के संरक्षक माननीय श्री अशोक जी सिंघल का खुला समर्थन और प्रयाग महाकुम्भ में 7 फरवरी को संतो के माध्यम से बड़े काम का आरम्भ करने की बात कह कर ये बताया है भाजपा को यदि सत्ता में आना और रहना है तो हिंदुत्व के दम पर ही आ सकते है और 100 करोड़ हिन्दुओ से धोखा और छल ही उनके पतन का करण है ।
मुझे लगता है की अडवाणी जी का सेक्युलर होने की बात से जो हडकंप संघ और संघ से हिन्दुत्ववादी स्वयंसेवकों में हुआ उसका ही नतीजा है की राजनाथ पार्टी शीर्ष पर एक बार दुबारा आये , लेकिन राजनाथ जी के आगे एक समस्या है भाजपा के घटक दलों को बनाये रखना और मोदी को अपना प्रधानमंत्री का योग्य उम्मीदवार घोषित करना , लेकिन ये राह आसन नहीं है कुछ लोगो को मोदी के आने से स्वयं के अस्तित्व का खतरा लग रहा है तो किसी को सेक्युलरवादी छवी को बनाये रखना है ।
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