Monday, February 11, 2013

भारत के लोकतन्त का सबसे घिनोना और शर्मनाक सच 
ये कैसा लोकतंत्र है 

शनिवार 09 फरवरी 2013 को जंतर मंतर पर अफजल को फासी देने की ख़ुशी में लोग जशन मना रहे थे की देश के सहीदो को इंसाफ मिला बेशक देर से ही मिला , बजरंग दल और अन्य राष्ट्रवादी लोगो और संगठनो ने खुशी जाहिर की और सरकार को धन्यवाद दिया ।
लोकतंत्र में सबको बोलने का हक है लेकिन क्या आतंकी का , देश के दुश्मन का समर्थन लोकतंत्र है , जंतर मन्त्र पर जो हुआ वो शयद देश के लोगो को दिखेगा नहीं , कश्मीरी स्टूडेंट और जवाहर लाल नेहरु के स्टूडेंट अफजल की फासी का विरोध क्र रहे थे यहाँ तक की एक लड़की मांग क्र रही थी की वो भी अफजल गुरु है उसको भी फासी दो क्या ये देश द्रोह नहीं नहीं जब तोगड़िया, वरुण गाँधी , के राष्ट्र हित की बात देश विरोधी है तो ये कौन है जो आतंकवादी का समर्थन करते है और दुश्मनों को शक्ति दे रहे है ।
हमारे युवा वर्ग का न्य हीरो पेंटर असीम त्रिवेदी ( देशद्रोही ) , और jnu स्टूडेंट की सचिव कृष्णन ये सब देश द्रोही वहां अफजल गुरु के लिए इंसाफ मांग रहे थे जिनकी पिटाई बजरंग दल के लोगो नै की क्या ये गलत है फिर भी कुछ लोगो हमे भगवा आतंकी बोलते है ।
अगर देशद्रोहियों को मरना , आतंकवाद है तो हम आतंकवादी ही ठीक है सेक्युलर नहीं होना हमे ।





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