Monday, December 31, 2012

कांग्रेस का चारित्र है बलात्कार और अत्याचार




आज सप्रसंग की सरकार आये दिन एक नए घोटाले का सामना कर रही है वही दूसरी ओर देश की अर्थव्यवस्था भारत के अर्थसास्त्री प्रधानमंत्री के आठो से निकलती जा रही है , आज देश की  शासन  व्यवस्था  डॉ मनमोहन  सिंह के हाथो से निकल कर कांग्रेस पार्टी के शीर्ष में बैठे नेताओ के हाथों में जा पहुची है ।
सप्रसंग कोई की सरकर ने आये दिन नए घोटाले करने का जो कीर्तिमान स्थापित  किया है वो  विश्व के किसी भी सता धरी दल ने नहीं किया होगा , 2009 से   न जाने कितनि सम्पति का नुकसान देश और देश की  को उठाना  पड़ा है , गठबंधन का राग कांग्रेस हमेशा से गाती  रही है अपनी इच्छाशक्ति की कमजोरी को छुपाने के लिए प्रधानमंत्री सहयोगियों पर सारा ठीकरा फोड़ देते आये है , लेकिन मनमोहन जी जनता  लगी है की आपकी ईमानदारी राजनीतिक  ईमानदारी से  अलग है और लोगो को इससे  कोई लाभ होने वाला है नहीं

देश के प्रति समर्पित बने विदेश के प्रति नहीं- 31 दिसंबर नहीं है भारतीय नव वर्ष


31 दिसंबर 2012 ।
नई दिल्ली :
भारत एक ऐसा देश है जहाँ किसी भी नए प्रचलन को अपनाने के लिए अधिक समय का इन्तेजार नहीं करना पड़ता , देश की युवा पीढ़ी के साथ पूर्ण समाज को अब इश्क आभाष तक नहीं है की कितनी तीव्र गति से हम सब पश्च्यात सभ्यता की और बढ़ते चले जा रहे है ।
31 दिसंबर को हमारी युवा पीढ़ी नव वर्ष के रूप में मानती है, शराब , और अश्लील पार्टी का आयोजन किया जाता है आज के दिन अनेको हादसे होते है लेकिन हमारा युवा वर्ग बड़ी तेजी से नशे और अश्लीलता को बढ़ावा दे रहा है और सरकार  विकाश के नाम पर देश की सांस्कृतिक सभ्यता और संस्कार को मिटा कर देश में केवल विदेशी सभ्यता को इस्थापित करना चाहती है ।
क्या ? देश के युवाओ को 31 दिसंबर का सत्य का ज्ञान होना आवश्यक है क्या देश की शिक्षा प्रणाली इश प्रकार की है की ये किसी को बताया जा सके की नव वर्ष की शुरुवात 31 दिसंबर नहीं बल्कि विक्रमी संवत से होती है , मेरे प्यारे भाइयो देश के प्रति समर्पित बने विदेश के प्रति नहीं







Sunday, December 30, 2012

बाबुल मेरी इतनी अर्ज सुन लीजिए


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हाल ही में अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस (8 मार्च) के अवसर पर मेरी टीम ने जिस रचनात्मक तरीके से शुभकामना संदेश दिया था, उसे लोगों ने काफी सराहा।, ‘नारी तुम श्रध्दा हो’ दूसरा ‘नारी तुम संस्कार हो’ और तीसरा ‘नारी तुम शक्ति हो’। यह विचार प्रसिध्द हिन्दी कवि श्री जयशंकर प्रसाद की कविता से प्रेरित था-
नारी! तुम केवल श्रध्दा हो,
विश्वास-रजत-नग पल तल में,
पीयूष श्रोत सी बहा करो
जीवन की सुन्दर समतल में

‘श्रध्दा’, ‘संस्कार’ और ‘शक्ति’ ये तीन शब्द नारी और विशेषकर भारतीय नारी के गुणों की बखूबी व्याख्या करते हैं। लेकिन फिर भी भारतीय नारी के विकास से जुड़े आंकड़ों को देखकर मुझे बहुत तकलीफ होती है।
• महिला के जीवन की संभावित औसत दर : 64.6 वर्ष
• शिशु मृत्यु दर : प्रति 1000 जीवित शिशुओं में 57 प्रतिशत
• 53 प्रतिशत महिलाओं ने किसी कुशल स्वास्थ्यकर्मी की मदद के बिना शिशुओं को जन्म दिया
• मातृ मृत्युदर : प्रति एक लाख बच्चों के जन्म पर 301
• एक लाख महिलाओं को तपेदिक के कारण घर से निकाला गया
• महिला साक्षरता दर : 47.8 प्रतिशत (विश्व में आखिरी पांचवा हिस्सा)
• 6 करोड़ अल्प कुपोषण वाले बच्चे और 80 लाख भयंकर कुपोषण से पीड़ित बच्चे (उनमें लड़कों की अपेक्षा लड़कियां ज्यादा)
मुझे जो बात सबसे ज्यादा परेशान करती है वह है - भारत में पुरूष और स्त्री के बीच जनसंख्या अन्तर, पुरूष (1000) और महिला (933)। यह स्थिति हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों में ज्यादा गंभीर है। प्रतिवर्ष लगभग 20 लाख कन्या भ्रूण वाली माताओं का गर्भपात करा दिया जाता है। हमारे यहां जन्म से पहले शिशु के लिंग की जांच करवाने के खिलाफ कड़े नियम हैं परन्तु सिर्फ कानून होना ही पर्याप्त नहीं है। पिछले वर्ष जब ”बेटी बचाओ” संस्था के कार्यकर्ता मुझसे मिले थे तो मैंने कहा था, ”भ्रूण हत्या जैसे घिनौने कृत्य के खिलाफ सरकारी एंव गैर-सरकारी संगठनों के प्रयासों को मिलाते हुए एक राष्ट्रीय अभियान चलाने की जरूरत है।”
घरों में बालिकाओं के खिलाफ हो रहे भेदभाव का प्रमुख कारण गरीबी है। यही कारण है कि आज भी बालिकाओं की साक्षरता दर कम है और अधिकतर लड़कियां बीच में ही अपनी पढ़ाई छोड़ देती हैं। मैंने अपनी देशभर की यात्राओं के दौरान अक्सर छोटी उम्र की लड़कियों जिन्हें विद्यालयों में पढ़ते और खेलते हुए होना चाहिए, को लकड़ियों का बोझ सिर पर ढोते हुए देखा है। भारत सरकार एवं राज्य सरकारों की यह नैतिक र् कत्तव्य और लोकतांत्रिक जिम्मेदारी है कि वे नारी के खिलाफ इस असंतुलन को दूर करने और विकास के हर क्षेत्र में महिलाओं के विकास के लिए बराबर के अवसर उपलब्ध कराने के प्रयास करें।
इस सन्दर्भ में, मैं मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा 2006 में कार्यान्वित की गई ”लाडली लक्ष्मी योजना” की सराहना करता हूं। यह योजना बहुत ही कम समय में मध्य प्रदेश राज्य के इतिहास में अत्यधिक सफल समाज कल्याण् योजनाओं में से एक सिध्द हुई है। इसका श्रेय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान को जाता है जिनकी राजनीतिक इच्छा-शक्ति और लगातार निजी ध्यान देने से ही यह संभव हो पाया है। ”लाडली लक्ष्मी योजना” का मुख्य उद्देश्य है-लड़कियों का विद्यालयों से नाम कटवाने की प्रवृत्ति को बंद करना और उन्हें कम से कम कॉलेज में जाने से पूर्व तक की पढ़ाई पूरी करने के लिए प्रोत्साहित करना। इस योजना के अन्तर्गत राज्य सरकार परिवार में पैदा हुई हर लड़की के लिए पांच वर्ष तक प्रतिवर्ष 6000 रूपये के बचत-पत्र (Saving Certificate) खरीदती है। पांचवी कक्षा की पढ़ाई पूरी करने के उपरान्त लड़की को 2000 रूपये, आठवीं कक्षा पूरी करने पर 4,000 रूपये और दसवीं कक्षा के बाद 7500 रूपये दिए जाते हैं। ग्यारहवीं कक्षा के दौरान छात्रा को प्रति मास 200 रूपये की राशि दी जाती है; और बारहवीं कक्षा में प्रवेश लेने पर अथवा 18 वर्ष की आयु पूरी करने पर उसे 1,18,000 रूपये की एकमुश्त रकम दी जाती है।

मैं प्रसून जोशी का प्रशंसक क्यों हूं
जबसे मैंने आमिर खान की ”तारे जमीं पर” में प्रसून जोशी के गीत सुने हैं, मैं उनसे बहुत प्रभावित हूं। आजकल नारी शक्ति की लहर चल रही है, इसके संदर्भ में मैंने शुभा मुदगल की अलबम की एक वीडियो देखी, जिसमें प्रसून जी ने कुछ दिल को छू जाने वाले गीत लिखे हैं और उन्हें खुद प्रस्तुत भी किया है। इस गाने में लड़की अपने बाबुल से विनती करते हुए कहती है कि उसे कैसा वर चाहिए और कैसा नहीं चाहिए :
गाने के बोल कुछ इस प्रकार हैं :-
जिया मोरा घबराये बाबुल!
बिन बोले रहा ना जाए

शुरू के वाक्य के बोल हैं :
मुझे सुनार के घर न दीजियो
मोहे जेवर कभी ना भाये

उसी तरह वह अपने बाबुल से कहती है कि उसे किसी राजकुमार या व्यापारी से भी नहीं ब्याहना।
लड़की अपने अनुनय-विनय को समाप्त करती हुई एक अनोखा अनुरोध करती है
बाबुल मेरी इतनी अर्ज सुन लीजिए
मोहे लुहार के घर दे दीजिए
जो मेरी जंजीरें पिघलाए

बाबुल से की गई बेटी की यह प्रार्थना सुनने में थोड़ी अजीब भले ही लगे पर हमारे पुरूष प्रधान समाज में इसका विशेष महत्व है।

देश की मौजूदा परिस्थिति आपातकाल से भी ज्यादा भयानक



31 दिसंबर 2012 ।  देश की मौजूदा इश्थिति स्वतंत्र भारत का स्वरुप नहीं हो सकती । 
नागरिक आजादी और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दमन के संदर्भ में, मैं आपातकाल की अवधि 1975-77 को सर्वाधिक खराब मानता हूं। लेकिन देश में जिस प्रकार का माहोल है उसे देख कर लगता है की वर्तमान परिस्थिति आपातकाल के अधिक भयानक है क्रूर है, देश में फैले आक्रोश का दमन चक्र देश की प्रसाशनिक व राजनितिक समझ को खोखला दिखा रही है ।
23 दिसंबर 2012 को राजपथ और इंडिया गेट पर मेरे साथ मेरे कइ मित्र घायल हुए जिन्हें मई नहीं जनता था लेकिन फिर भी हम संघर्ष करते रहे दामिनी के लिए 
लेकिन जिस प्रकार पुलिस ने युवा वर्ग को बल पूर्वक भगाया वो मेरे मन में एक प्रशन छोड़ गया, क्या अभिव्यक्ति की आजादी यही है , क्या देश को स्वतंत्र इशी दिन के लिए कराया था , आखिर शांति पूर्वक प्रदर्शन  वालो को पुलिस ने क्यों मारा ? क्यों पुलिस को छात्रों में झड़प हुई ? ऐसे अनेको प्रशन है जिनका उत्तर सरकार को देना चाहिए , देर शाम जब प्रदर्शन शांति पूर्वक चल रहा था तब क्यों पुलिस को आसू गैस के गोले छोड़े , क्यों पानी चलने की जरुरत पड़ी कड़कती ठण्ड में लाठिया चली पड़ी ,
क्या वो किसी कोई बेटी -बेटा नहीं थे जिन्हें पुलिस में जानवरों की तरह पिटा ।
यही लोकतंत्र है ?
     

दामिनी के दर्द का एह्साह हो हमे भी

ये केवल कविता नहीं है ,ये दर्द है उस पिता का जिसने अपनी बेटी जिगर के टुकड़े को खो दिया,ये दर्द है उस भाई का जिसकी कलाई राखी के त्यौहार पर उसको ये अहसाह दिलाएगी की वो अपने वादे में नाकाम रहा ,ये दर्द है माँ का जिसके आँगन में सहनाई कभी नहीं गूंजेगी ये दर्द है देश की हर माता -पिता का जिसे अपनी लाडो से प्यार है और दर्द है उस सम्पूर्ण नारी समाज का जो पुरुष को जनम देती है ,पालन पोषण करती है , और पुरुष प्रधान समाज उसे न केवल दुःख और दर्द देता है बल्कि उसके जीवन को नर्क बना देता है ।
नारी को जिस देश में पूजा जाता था वहां उसके साथ दुर्व्यवहार होने लगा , अपमान होने लगा और अब दुराचार के साथ जीवन का अधिक भी खोने लगा , नैतिकता के अभाव में मनुष्य अश्म्य अपराध को करके गौरवान्वित होने लगे है  जिस देश में लक्ष्मी , गौरी , पार्वती की पूजा होती है वहां हर रोज़ दामिनी जैसे नाम का अपमान होता है ।
क्या स्वतंत्र जीवन जीने का अधिकार पुरुष को ही है , नारी को अपने ही भाइयो से भयभीत रह कर जीवन जीना होगा , जिस पुरुष को नारी की रक्षा करनी थी वही उसका दुश्मन बन गया है नपुंशक पुरुष समाज दोषी है उन हजारो लाखो माताओ - बहनों के साथ हुए दुराचार व दुर्व्यवहार के लिए समस्त पुरुष समाज आज हुए इश घटना क्रम के लिए दोषी है ।
दामिनी मेरी आपकी और हम सबकी लड़ो थी उसकी मौत हम सब पर उसका क़र्ज़ है उसे इंसाफ दिलाना युवा वर्ग तथा हर उस पुरुष का है जो अपनी माँ ,बहन व बेटी के लिए सोचता है व सुरक्षित देखना चाहता है उसका प्रथम कर्त्तव्य है । 
मै शुब्ध हु तेरे दर्द से , क्यों मिला तुझे दर्द  ये 
इन्सान से हैवान क्यों हुआ  है मर्द ये 
क्यों तड़पता है दिल मेरा जब रिश्ता नहीं तुझसे मेरा कोई  
जानता हु की मुझपे सदा रहेगा क़र्ज़ ये ।
आज आखे नम है मेरी , दिल में कोई दर्द है 
 इश देश की हर उस बहिन - बेटी से हमे माफ़ी मंगनी होगी जिसके दर्द का करण हम है 
हमे माफ़ करना लाडो ............। 



ओ री चिरैया , नन्ही सी चिड़िया



ओ री चिरैया  , नन्ही सी चिड़िया 
अंगना में फिर आजा रे 
ओ री चिरैया  , नन्ही सी चिड़िया 
अंगना में फिर आजा रे 
अँधियारा है घना 
और लहू से सना 
किरणों के तिनके , अम्बर से चुन्न के 
अंगना में फिर आजा रे 
हमने तुझपे हजारो सितम है किये 
हमने तुझपे जहाँ भर के ज़ुल्म किये 
हमने सोचा नहीं , तू जो उड जाएगी 
ये ज़मीन तेरे बिन सुनी रह जाएगी 
किसके दम पे सजेगा मेरा अंगना
ओ री चिरैया  , नन्ही सी चिड़िया 
अंगना में फिर आजा रे 
तेरे पंख्नो में सारे सितारे जडू 
तेरी चुनर तनक सेथा सतरंगी भानु 
तेरे काजल में मैं , कच्ची धुप मलू
तेरे नैनो सजा दूं नया सपना 
ओ री चिरैया  , नन्ही सी चिड़िया 
अंगना में फिर आजा रे
ओ री चिरैया  , नन्ही सी चिड़िया 
अंगना में फिर आजा रे
ओ री चिरैया  ........।

Wednesday, December 26, 2012

दिल्ली में दुष्कर्म की शिकार लड़की के दोषियों को फासी दो : बजरंग दल

दिल्ली में दुष्कर्म की शिकार लड़की के दोषियों को फासी दो : बजरंग दल 
लड़की के बेहतर स्वस्थ्य लिए सामूहिक हनुमान चालीसा व यज्ञ और हवन 


नई दिल्ली, दिसंबर 25 2012 । दिल्ली में हुए सामूहिक बलात्कार व महिला उत्पीडन की घटना 

ने देश और समाज को जक्झोर कर रख दिया है, लड़की के साथ दुष्कर्म करने वाले लडको ने बुरी 

तरह घायल भी किया जिसके कारण लड़की की हालत नाजुक बनी हुई है, घटना के विरोध में जहाँ 

देश भर में रोष है वही बजरंग दल दिल्ली की जिला इकाई ने ने पीड़ित लड़की के लिए आई एन ए 

मार्किट इश्थित हनुमान मंदिर में सामूहिक हनुमान चालीसा एव यज्ञ और हवन किया व 121 बार 

महामृत्युंजय मंत्रो का उच्चारण कर पीडिता के बेहतर स्वस्थ्य की कामना की । बजरंग दल के 

कार्यकर्ताओ ने अपना रोष व्यक्त करते हुए सरकार से दोषियों को फासी देने की व कड़े कानून 

बनाने की मांग की और दिल्ली की मुख्यमंत्री तथा गृह मंत्री के विरोध में नारे लगाये, वहीँ सरकार 

के द्वारा प्रदर्शनकारियों के साथ किये सरकार के दमनचक्र की कड़ी निंदा की । कार्यक्रम में विहिप 

दिल्ली के प्रान्त संगठन मंत्री श्री करुणा प्रकाश , बजरंग दल के प्रान्त पूर्णकालिक श्री नीरज 

दनोरिया ,विहिप मिडिया के श्री राकेश पाण्डेय, विभाग सयोजक श्री श्याम कुमार ,जिला सह - 

सयोजक श्री किशन बसोया , श्री मुन्ना लाल शर्मा ,भगत सिंह क्रांति सेना के श्री विष्णु गुप्ता तथा 

अनेको कार्यकरता भरी संख्या में उपस्थित थे ।


 भवदिये
 राकेश पाण्डेय विहिप मीडिया 
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 हवन करते श्री राकेश पाण्डेय व बजरंग दल के प्रान्त पूर्ण कालिक श्री नीरज दनोरिया ,श्री श्याम कुमार और अन्य कार्यकर्ता






विहिप दिल्ली प्रान्त संगठन मंत्री श्री करुन प्रकश कार्यकर्ताओ के साथ 






Spicejet Against IndianArmy

सेना के जवान से दुर्व्यवहार करते एयरलाइंस।  =========== देश के लिए जान हथेली पर ले के जाने वाले सैनिकों से इस तरह की उगाही पर  रोक लगनी चाहि...