Sunday, December 30, 2012

देश की मौजूदा परिस्थिति आपातकाल से भी ज्यादा भयानक



31 दिसंबर 2012 ।  देश की मौजूदा इश्थिति स्वतंत्र भारत का स्वरुप नहीं हो सकती । 
नागरिक आजादी और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दमन के संदर्भ में, मैं आपातकाल की अवधि 1975-77 को सर्वाधिक खराब मानता हूं। लेकिन देश में जिस प्रकार का माहोल है उसे देख कर लगता है की वर्तमान परिस्थिति आपातकाल के अधिक भयानक है क्रूर है, देश में फैले आक्रोश का दमन चक्र देश की प्रसाशनिक व राजनितिक समझ को खोखला दिखा रही है ।
23 दिसंबर 2012 को राजपथ और इंडिया गेट पर मेरे साथ मेरे कइ मित्र घायल हुए जिन्हें मई नहीं जनता था लेकिन फिर भी हम संघर्ष करते रहे दामिनी के लिए 
लेकिन जिस प्रकार पुलिस ने युवा वर्ग को बल पूर्वक भगाया वो मेरे मन में एक प्रशन छोड़ गया, क्या अभिव्यक्ति की आजादी यही है , क्या देश को स्वतंत्र इशी दिन के लिए कराया था , आखिर शांति पूर्वक प्रदर्शन  वालो को पुलिस ने क्यों मारा ? क्यों पुलिस को छात्रों में झड़प हुई ? ऐसे अनेको प्रशन है जिनका उत्तर सरकार को देना चाहिए , देर शाम जब प्रदर्शन शांति पूर्वक चल रहा था तब क्यों पुलिस को आसू गैस के गोले छोड़े , क्यों पानी चलने की जरुरत पड़ी कड़कती ठण्ड में लाठिया चली पड़ी ,
क्या वो किसी कोई बेटी -बेटा नहीं थे जिन्हें पुलिस में जानवरों की तरह पिटा ।
यही लोकतंत्र है ?
     

No comments:

Post a Comment

Spicejet Against IndianArmy

सेना के जवान से दुर्व्यवहार करते एयरलाइंस।  =========== देश के लिए जान हथेली पर ले के जाने वाले सैनिकों से इस तरह की उगाही पर  रोक लगनी चाहि...