ठाकरे के साथ समाप्त हुआ शिव सेना का हिंदुत्व लक्ष्य
- राकेश कुमार पाण्डेय
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कुछ दिनों से पंजाब शिव सेना इकाई के उपाध्यक्ष जगदीश कटारिया के दिए विवादित बयान ने बजरंग दल और विहिप को शिव सेना समक्ष प्रतिद्वंदी के रूप में ला खड़ा किया है ।
मैं पूर्ण रूप से बजरंग दल प्रान्त सयोजक के विचारो से सहमत हूँ , आज स्वर्गीय श्री बाला साहब ठाकरे के हिंदुत्व के स्वप्न को अधुरा करने वाला एक प्रयास है डॉ तोगड़िया हो या मोदी सब हिन्दू है और संघ के स्वयंसेवक है और यदि वैचारिक मतभेद हो तो भी उसका निदान संगठनात्मक दृष्टी से सोचना होगा न की राजनीतिक ।
संघ व विहिप तथा बजरंग दल जिस रूप में समाज सेवा कर रहे है वो कटारिया जी की समझ से शयद परे की बात है अन्यथा वो ऐसी मतभेद की परिस्थिति उत्पन न करते , आज जब शिव सेना भाजपा समर्थित पार्टी है तो राजनीति करना उसका स्वभाव होगा इसमें कोई दो राय नहीं है ,
समाज का कार्य करते हुए कुछ कठोर निर्णय लेना अनिवार्य हो जाता है ऐसे में व्यक्तिगत स्वार्थ से हट कर देश और समाज का हित अनिवार्य हो जाता है और दायेत्व भी अधिक हो हटा है फिर विबाद उत्पन कर के न केवल संगठन बल्कि स्वयं के लिए भी विकट परिस्थिति का निर्माण हो जाता है , जो न समाज के हित में है और ना ही राजनीति के हित में ।
अब समय आ गया है की शिव सेना ये पूर्ण रूप से बताये की वो संघ परिवार और विहिप के साथ हिंदुत्व और देश सेवा करना चाहती है या केवल राजनीती , राजनीती और हिंदुत्व दोनों का संतुलन बनाये रखने के लिए अब न तो श्री बाल ठाकरे है और नहीं रज्जू भैया , विहिप और पुरे संघ परिवार को अब राजनीती की मंशा रखने वाले ढोंगियों से सावधान रहने की आवश्यकता है ।
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