31 दिसंबर है गुलामी का वर्ष -नव वर्ष नहीं
अश्लीलता स्वतंत्रता का आधार नहीं हो सकता
क्या इशी आज़ादी के लिए बुद्धिजीवी वर्ग के लोग सभी लोगो और भारतीय समाज को विरासत में
देना चाहते है, अश्लीलता और नग्नता का इसे अच्छा उदाहरण नहीं होगा ।
देश की सांस्कृतिक विरासत की बात करे तो युवा वर्ग जिसे पश्चिमी सभ्यता ने ऐसा बीमार किया है की वो उसके मोह माया के जाल से स्वयम को निकलने में असमर्थ समझने लगा है जिसके करण वो
वो स्वयं को अग्रिन व विकाशसील होने के दावे करने लगा है । इसाई नव वर्ष को मनाने के लिए शराब ,शबाब व कबाब की सभ्यता प्रचलित है , शयद इसी का मानसिकता से भारतीय समाज का युवा वर्ग ग्रषित है जिसके करण अनेको अपराध होने लगे , नैतिकता के अभाव में ना केवल लड़के बल्कि लड़कियां भी ।
आज़ादी का ये अर्थ है तो देश को और देश में रहने वाले सभ्य लोगो को गुलाम बनना ज्यादा पसंद होगा ।
अश्लीलता स्वतंत्रता का आधार नहीं हो सकता
क्या इशी आज़ादी के लिए बुद्धिजीवी वर्ग के लोग सभी लोगो और भारतीय समाज को विरासत में
देना चाहते है, अश्लीलता और नग्नता का इसे अच्छा उदाहरण नहीं होगा ।
देश की सांस्कृतिक विरासत की बात करे तो युवा वर्ग जिसे पश्चिमी सभ्यता ने ऐसा बीमार किया है की वो उसके मोह माया के जाल से स्वयम को निकलने में असमर्थ समझने लगा है जिसके करण वो
वो स्वयं को अग्रिन व विकाशसील होने के दावे करने लगा है । इसाई नव वर्ष को मनाने के लिए शराब ,शबाब व कबाब की सभ्यता प्रचलित है , शयद इसी का मानसिकता से भारतीय समाज का युवा वर्ग ग्रषित है जिसके करण अनेको अपराध होने लगे , नैतिकता के अभाव में ना केवल लड़के बल्कि लड़कियां भी ।
आज़ादी का ये अर्थ है तो देश को और देश में रहने वाले सभ्य लोगो को गुलाम बनना ज्यादा पसंद होगा ।
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