माघ 2 विक्रमी संवत 2069 ।
गत दिनों में विहिप के डॉ प्रवीन तोगड़िया के लिए जिस प्रकार के अपशब्दों का प्रयोग शिव सेना व अन्य विरोधी लोगो के द्वारा किया गया ये एक सोची समझी रणनिति का परिचायक है , मुझे बहुत आश्चर्य हो रहा है की हिन्दू समाज के लिए समर्पित भाव से कार्य करने वाले डॉ प्रवीन तोगड़िया के लिए हिन्दूवादी संगठनो के जिम्मेदार लोग ऐसे अपशब्दों का प्रयोग करते है जहाँ तक मई देखता हु ये केवल
राजनीती है ।
देश केवल राजनीती से नहीं शुद्ध राजनीती से चलने की कोशिस करनी करनी होगी, जिस प्रकार का समय है सको संगठित हो कर चलने की आवश्यकता है ,पिछले रोज़ शिव सेना के कटारिया जी ने डॉ तोगड़िया को कंस जैसे नाम से संबोधित किया , मुझे ऐसा लगता है की कटारिया जी स्वयं की स्वेछा से तो नहीं कहा होगा समझना होगा की इश राजनीती के पीछे कौन है ?
गुजरात के चुनाव में हुए वैचारिक मतभेद होने के कारण विरोधियो को अवसर मिला है जिनकी राजनीती अवसरवादी है , डॉ तोगड़िया के साथ मेरा स्वयं का अनुभव बेहद सुखद रहा है , हिन्दू समाज और देश के लिए उनका योगदान अतुलनीय है चाहे उनकी भूमिका वो बाबरी ढाचे के विध्वंस में हो या मुस्लिम आरक्षण या अन्य विषयों पर सदेव समाज के लिए कार्य करने की इच्छा और सेवा भाव के कारण लगे रहे और देश के अनेको हिन्दू युवाओ के आदर्श के रूप में स्वयं को इस्थापित किया ।
कटारिया जी को याद रहे की कश्मीर हो या बांग्लादेश या हैदराबाद , कोलकाता जहाँ भी हिन्दुओ पर अत्याचार हुआ डॉ तोगड़िया ने उसका विरोध किया और प्रत्येक कठिन कार्यों का निर्तेत्व स्वयं आगे रह कर किया , तब न तो कटारिया जी आये और न ही वो लोग जो प्रवीन तोगड़िया के द्वारा किये कार्यो के धुर विरोधी है , आज की विकट परिस्थिति में शिव सेना का नया अवतार हुआ है देश में राजनितिक हवा बाद रही है , सही मायने में ये आने वाले समय में हिन्दू वादी संगठनो को कम्जोक करेगा और दलगत राजनीती परिस्थिति को अधिक विकट बनाने के लिए सुनियोजित और पप्रायोजित रूप से हो रहे कार्यो का आगाज है ।
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