Friday, June 26, 2020

Spicejet Against IndianArmy

सेना के जवान से दुर्व्यवहार करते एयरलाइंस। 
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देश के लिए जान हथेली पर ले के जाने वाले सैनिकों से इस तरह की उगाही पर  रोक लगनी चाहिए... सीमा पर ड्यूटी करने जा रहे सैनिक की यात्रा निःशुल्क होनी चाहिए... 

सैनिक ज़ब सीमा पे ड्यूटी के लिए जाता है तब कोई नहीं जनता कि वो वापस आएगा या नहीं...  😭  तो क्या देश, देश पे न्योछावर होने जा रहे सपूत को सीमा तक निःशुल्क ले भी नहीं जा सकता ?

A Soldier's Travel Experience with Spicejet. A true incident.

ये घटना गत 24 जून ही है। देश की राजधानी दिल्ली में एक सामान्य सा दिन परंतु देश की सीमाओं पर काफी हलचल थी । जवानों की छुट्टियां रद्द कर उन्हें तत्काल सीमाओं की सुरक्षा हेतु बुलाया जा रहा था । कुछ ऐसे भी थे जिनको उनकी वाहनी से स्थानांतरण पर कार्यमुक्त कर दिया गया था । जवान स्वयं के व्यय पर इस परिस्थिति का सामना करने के लिए हर्ष से चल पड़े । देश मे व्याप्त कोरोना महामारी के कारण रेलवे स्टेशन तथा एयरपोर्ट पर सामान्य से कम ही भीड़ थी ।

वर्तमान परिस्थितियों के कारण आम जनता जो सैर सपाटे के लिए अक्सर लद्दाख घूमने जाती थी अब घरों में आराम फरमा रही थी । और लद्दाख अब कोई जाए भी क्यों ? अगर कोई जाएगा तो वो है एक सैनिक ।

वो सैनिक ऐसे ही चल पड़ा। आनन-फानन में जो साथ रख सकता था रखा। इस जल्दबाजी में वो भूल गया कि कितना सामान वो रख सकता है और कितना नही।
साथ मे दो बड़े बैग जिसमे से एक का वजन 15 किलो दुसरे का 7 किलो। एक छोटा बैग जोकि पहले से पूर्ण रूप से भरा था जिसका वजन करीब 7 किलो पर ज्यादा.. 

कुल 3 बैग जिनका वजन 18+7+5= 30 किलो ।

बैग में उपलब्ध सामान में से 85% वो सामान था जो उसकी ड्यूटी के लिए जरूरी था । विभिन्न प्रकार के जूते और कई प्रकार की वर्दियां उसके सामान को भारी बना रही थीं । यदि वो आम नागरिक होता तो उसका बैग 85% तक हल्का हो सकता था ।

बोर्डिंग पास की लाइन में इंतजार करते हुए अंततः उसका नम्बर आ ही गया... मन मे शंका लिए वो आगे बढ़ा और टिकट की कॉपी दिखाते हुए बोर्डिंग पास जारी किए जाने का इंतजार... उसका पहला बैग सफलतापूर्वक बैल्ट पर आगे बढ़ गया... जैसे ही उसने दूसरा बैग वजन के लिए रखा उसे तुरंत रोक दिया गया...

"सर ये नही जा सकता... आप एक ही बैग ले जा सकते हैं... इसके लिए एक्स्ट्रा चार्ज लगेगा ? 400 रुपये किलो", काउंटर पर बैठे व्यक्ति ने कहा ।

"सर प्लीज... जाने दीजिए... जरूरी सामान है...  जरूरत पड़ेगी", जवान ने विनम्रतापूर्वक निवेदन किया ।

"नही.. ये हमारी कम्पनी की पालिसी के खिलाफ है। आप अपना बोर्डिंग पास लीजिए और साइड हो जाइए... और भी यात्री लाइन में हैं।" काउंटर पर बैठे व्यक्ति ने कहा ।

"सर, प्लीज देख लीजिए... ज्यादा नही है 7 किलो ही तो है... अगली बार ध्यान रखूँगा।", जवान ने फिर निवेदन किया ।

" नहीं... सर, आप समझते क्यों नही हैं... फर्स्ट काउंटर पर जाकर हमारे मैनेजर से बात कर लीजिए। हम कुछ नही कर सकते।", SpiceJet के कर्मचारी ने कहा।

निराश जवान काउंटर से हटते हुए काउंटर नम्बर 1 पर गया वहाँ भी यही जवाब मिला... हताश होकर पंक्ति में लगे अन्य लोगों से पूछने लगा कि क्या आपमे से कोई लदाख जा रहा है? पर सबने मना कर दिया...

कोई जा भी रहा होता तो तब भी बात नही बनती क्योंकि फ्लाइट के नए नियम के अनुसार एक यात्री सिर्फ एक ही बड़ा बैग ले जा सकता है जिसका वजन 20 kg से कम हो... फिर भी चाहता था कि अपने दूसरे बैग का कुछ सामान वो किसी अन्य यात्री के बैग में रख दे जिससे उसे कम भुगतान करना पड़े ।

कोई मदद ना मिल पाने की स्थिति में वो पुनः काउंटर पर गया और निवेदन करने लगा...। उसने बताया कि वह सरकारी आदेश के तहत अपनी ड्यूटी का निर्वहन करने जा रहा है... उसका वहाँ पहुंचना जरूरी है । सीमाओं पर हालात सामान्य नही है... कृपया इतनी मदद तो आप कर ही सकते हैं। "

"आप पहले पंक्ति में लगें और अपनी बारी का इंतजार करें... आप अपनी ड्यूटी कर रहे हैं तो आपको दिखाई नही देता हम कोरोना में भी काम कर रहे हैं... ", spicejet के कर्मचारी ने आंखे दिखाते हुए कहा।

पंक्ति में दोबारा लगना मतलब 45 मिनट फिर से खड़ा रहना... खैर, वो सैनिक था... बर्फीली रातों में वो घण्टो सीमाओं पर खड़ा रह सकता है ये 45 मिनट उसके लिए कुछ नही थे... पंक्ति में अपनी बारी का दोबारा इंतजार करते हुए वो सोचने लगा... "ये है देश के नागरिकों की सोच... "। 

कोरोना में काम करना क्या होता है कोई उससे पूछे... उसका बल भारत का एक मात्र बल था जिसने सबसे पहले विदेशों से आये कोरोना के मरीजों को अपने कैम्प में आइसोलेट किया था... उनकी सेवा की। आज भी उसका बल दिल्ली में 10000 बिस्तर वाले देश के सबसे बड़े कोरोना अस्पताल की कमान अपने हाथ मे ले रहा है... खैर, इन बातों का कोई मतलब नही था ।

फिर वो सोचने लगा कि 7 किलो में से कुछ वजन वो कम कर सके... पर क्या कम करे?

वो कम्बल जो उसकी माँ ने जाते वक्त यह कहते दिया था, "बेटा वहाँ ठंड होगी...जरूरत पड़ेगी।" जिसकी कीमत 1000 रुपये से ज्यादा नही होगी, पर उसकी कीमत से ज्यादा उसे उसके किराये पर खर्च करना पड़ेगा ताकि उस कम्बल में उसे उसकी माँ की गोद का एहसास होता रहे।

या फिर वो टिफिन जिसमे उसकी पत्नी ने सफर के लिए कुछ रोटियाँ और घर की बनी मिठाईयां रखी थी ताकि रात भर के ट्रैन से एयरपोर्ट तक के सफर में वो खा सके।

क्या चुनना था क्या नही... यही असमंजस में वो आगे बढ़ा...

बिना ज्यादा कुछ निवेदन किये अपना डेबिट कार्ड काउंटर पर बैठे spicejet के कर्मचारी को थमा दिया...

अपनी जीत पर मुस्कुराते हुए spicejet के कर्मचारी ने एक पर्ची बनाकर उस सैनिक के हाथ मे थमा दी... तभी एक मैसेज उस सैनिक के मोबाइल पर आया,

"Rs.2,800.00 spent on your SBI Card ending with 5437 at SPICEJET LIMITED on 24/06/20. If this trxn. wasn't done by you, click https://sbicard.com/DisputeRaise"

पर्ची को और कार्ड को जेब मे डालते हुए वो अगली प्रक्रिया के लिये आगे बढ़ गया ।

ये वो फ्लाइट कम्पनियां हैं जो शहादत के बाद लौट रहे किसी सैनिक के शव से भी अतिरिक्त भार व्यय के नाम पर 400 रुपये प्रति किलो वसूलने में गर्व महसूस करेंगी.. 

#SpiceJet Vs #IndianArmy




Wednesday, January 22, 2020

लल्लू टॉप वालो का हिन्दूफ़ोबिया और जाहिल ज्ञान से भरा #तन्हाजी का रिव्यू। - By RJ/ Anchor Upasna , लल्लू टॉप वाली



लल्लू टॉप ( लालनटॉप ) वाले पहले मुर्खता कभी कभी और कम खुलकर किया करते थे लेकिन तान्हाजी फिल्म के आने के बाद ऐसे पगलाये है जैसे औरंगजेब इनके अब्बा हो और फिल्म ने उसकी महान और दयालु छवि को खराब किया हो और उसका चरित्र गलत दिखाया है।
अब इनका आंकलन इतना वाहियात है की ये सरेआम खुद ही एक्सपोज हो रहे है। इन मोहतरमा का आंकलन इनकी दिमागी सड़न को दिखा रहा है
=फिल्म के डायलॉग और दृश्य है जिसपर इन ड्रामेबाजों को आपत्ति है =
- "जब शिवजी राजे की तलवार चलती है तो महिलाओ का घूंघट और ब्राह्मणो का जनेऊ सुरक्षित रहता है"
जवाब : यह बात तो सत्य है जब छत्रपति शिवजी महाराज की बात होती है तो इसका जिक्र होता है लेकिन वामपंथी बीमारी से ग्रस्त इस स्वघोषित ज्ञानी चैनल को लगता है की यह आज के संदर्भ में मूर्खता है तो उपासना जी मूर्खता यह है की आपको और आपके लल्लू टॉप को लगता है की यह संवाद आज के संदर्भ में है जबकि यह संवाद और सत्य शिवजी महराज के समय का सत्य और संवाद है।
- अब दूसरा तर्क देखिये : इनके अनुसार यह फिल्म घूंघट प्रथा को प्रचलित करती है जिसके विरुद्ध इन्होने बहुत लड़ाई लड़ी है साथ ही साथ ब्राह्मणो की रक्षा में शिवजी का तलवार उठाना भी इन्हे गलत लगता है ऐसा कहना जातिवाद को बढ़वा देना लगता है और यह बात डरावनी है।
जवाब : मैडम लल्लू टॉप की उपासना जी डरावनी बात इसमें ये है की आपका प्रिय औरंगजेब जिसे वामपंथी और जिहादी ग्लोरिफ़ाई करने में लगे है और सूफी संत घोषित किये बैठे है उसने महिलाओ का बलात्कार किया, इसलिये घूंघट की जरूरत पड़ी
हत्या की, मंदिरो को तोडा, अमानवीय शब्द से भी आगे बढ़कर काम किये, रोज ब्राह्मणो की हत्या करना औरंगजेब का प्रिय कार्य था जिसका जिक्र इस फिल्म में नहीं है वरना पता चलता की डरावना क्या है ?
दूसरा तब समाज का कमजोर वर्ग जो शिक्षा दीक्षा और भिक्षा से जीवन जीता था उस ब्राह्मण के धर्म और प्राणो की रक्षा हेतु छत्रपति शिवजी महाराज ने तलवार उठाई तो यह डर का नहीं गौरव का विषय है।
ब्राह्मण की रक्षा वाली बात कह दी तो इनके रोये खड़े हो जा रहे है लेकिन धर्म और ज्ञान से लोग दूर रहे इसलिये ब्राह्मणो की बड़े पैमाने पर हुई हत्या पर मोहतरमा के रोये नहीं खड़े हुये क्यूंकि हत्यारा औरंगजेब था और उसके विरुद्ध बोलै तो उपासना जी खड़े होने लायक नहीं रहेंगी।
खैर
अगली ज्ञान भरी बात
- मोहतरमा के अनुसार उस समय में मराठे और अन्य शासक ने नीची कही जाने वाली जातियों पर दरिंदगी की हद तक अत्याचार किये
जवाब : मैडम को लगता है इनकी खोपड़ी में जो चुलु भर ज्ञान है बस ज्ञान उतना ही है या फिर किसी ने लिखकर दे दिया तो पढ़ लो किसको पता क्या सही क्या गलत ?
खैर मैडम शिवजी महाराज के शासनकाल को समझना आपकी हिन्दूफ़ोबिया की बीमार बुद्धि से परे है वैसे अनजाने में एक सत्य बता दिया आपने दरिंदगी की हद तक अत्याचार करने वाले उस पुरे दौर में औरंगजेब , बाबर , तुगलक , और अन्य मुगल लुटेरे थे जिन्होंने भारत में कब्ज्जा जमाया और धर्म परिवर्तन न करने के बदले हत्या की, जजिया लगाया और औरतो से बलात्कार किया।
लेकिन आपको समाज में आपसी समान्य झगड़े भी दरिंदगी की हद लग रहे है क्यूंकि ये शब्द बोले के लिये आपको सौरभ ने पैसे दिये है दरिंदगी न तो देखी आपने न ही झेली है।
- फिल्म के हीरो और विलन का अपनी सेना और लोगो बीच नाचना सिनेमेटिक आजादी का हनन लग रहा है मसाला परोसना लग रहा है।
जवाब : मैडम लल्लू टॉप की उ पासना जी जिन दोनों चरित्रों का जिक्र किया वो राजा नहीं राजा के प्रतिनिधि के रूप में है
खैर
कुछ समय पहले एक फिल्म आई थी पद्मावती या पद्मावत इस फिल्म में आपके अनुसार हीरो खिलजी एक राजा था लेकिन उसके नाचने पर कितनी सच्चाई है ये नहीं पूछा आपने न आपके घोर वामपंथी सौरभ जी ने खैर खिलजी को गवैया , नचनिया या कुछ और दिखाने का एजेंडा था तो आपने विरोध नहीं किया न तो उसका प्रमाण माँगा ?
सिनेमेटिक आजादी का फायदा उठाने का ज्ञान देने लगेंगी तो लल्लू टॉप चुल्लू टॉप होकर डूब मरेगा क्यूंकि आपके प्रिय लोग सबसे अधिक आजादी का गलत फायदा उठाते है।
सच दिखा दिया तो आजादी खतरे में आ गई और आप झूठ परोसे तो आजादी गौरवशाली हो जाती है क्या ?
वैसे मैडम घूंघट , ब्राह्मण और जनेऊ को ग्लोरिफ़ाई नहीं किया गया सच बताया है।

- "अब कुत्ते की तरह जीने से बेहतर है शेर की तरह मरना" यह कुत्ते प्रेमियों को दुःख देता है लोग कुत्तो को अपना बच्चा मानते है और बहुत कुछ बकवास बोली आप !
जवाब :
मोहतरमा आपको आज एहसास हुआ की यह डायलॉग कुत्तो की बेज्जती करता है कुत्ता प्रेमियों को यह आहत करता है। खैर यही जीव प्रेम अन्य जीवो के लिए दिखाते तो अच्छा होता।
वैसे जो जैसा होता है उससे वैसे ही लोग पसंद आते है. वैसे यह मुहावरा पुराना और तर्क संगत है लेकिन इस फिल्म में जिस संदर्भ में बोला गया है उससे आपको कुछ लेना नहीं है आपको बस वामपंथियों का पुराना फार्मूला लगाना है की जब कुछ न सूझे तो कुतर्क करो।

मैडम आज के युवा को क्या करना है और क्या समझा इसकी चिंता चंद टटपुँजिया वामपंथी और आप जैसे मुर्ख छोड़ दे। इस पुरे रिव्यू में साबित कर दिया की लल्लू टॉप और उसके नौकर सब जाहिल है। इतना मूर्खता और कुतर्क से भरा रिव्यू शायद ही कभी देखा हो किसी ने।

फिल्म रिलीज हो गई और आपको जवाब मिल गया होगा की देश की जनता और युवा क्या सोचता है।
आपके जैसे कुछ टटपुँजिया लोग है जिन्हे फिल्म में हिन्दू गीत से भी परेशानी हुई तो ऐसे जाहिलो से पूछो की हर गीत में मौला मौला आना सेक्युलर होना है और शंकरा रे शंकरा साम्प्रदायिक ?
नीचता की हद फिर से तब तय होगी जब वामपंथी , लिब्ऱांडु , झंडू , टटपुँजियां तथाकथित बिकाऊ पत्रकार अपन गिरने की चरम सीमा पर पहुँच जायेंगे।


Monday, January 14, 2019

राजधानी दिल्ली के इंडिया गेट पर गणतंत्र दिवस से पूर्व एक महिला पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगती है अमर जवान ज्योति के पास रखी सरकारी संपदा को नुकसान पहुँचाती है और सबसे महत्वपूर्ण अमर जवान ज्योति पर चपल फेकने वाली यह तथाकथित डरी हुई प्रजाति की मुस्लिम महिला - महिला पुलिस के अभाव में बहुत देर तक ड्रामा करती है बहुत देर बाद एक महिला विक्रेता के सहयोग से जब पकड़ी जाती है तब जो खेल शुरू होता है वो खेल उच्च श्रेणी के अपराधी करते है।  वो खेल है "एडा बनकर पेड़ा खाने वाला " अर्थात यह की ठीक 26 जनवरी से पहले पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने के लिये तेलांगना से दिल्ली आने वाली महिला ने और उसके समर्थन में उतरे पत्रकारों ने इस जिहादी और देश द्रोही महिला को मानसिक रूप से बीमार घोषित कर बचाने का षड्यंत्र करने लगे। 

एक पागल को पता है की पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा लगाना है वो भी इंडिया गेट पर समय देखकर, एक पागल को पता है की अमर जवान ज्योति पर चपल से हमला करना है, चलिये मान भी लिया की वो पागल है तो फिर उसे तेलांगना से दिल्ली के इंडिया गेट पर कौन लेकर आया, पाकिस्तान जिंदाबाद का नारे लगाने और शहीद सेना के जवानो  के सम्मान में बने अमर जवान ज्योति का अपमान करने को किसने सिखाया ?
भारत में पैदा होने वाले ये खर पतवार जैसे तथाकथित पढ़े लिखे पत्रकार और लिब्रल खुद को सबसे अधिक समझदार और सच्चा और बाकि सबको मुर्ख समझते है।

पता नहीं कब वो सरकार आयेगी जो कानून बनायेगी की देश की सेवा करने वाले जवानो और देश को गाली देने, अपमान करने वाले, हमला करने वाले देश द्रोही होंगे और सजा के तौर पर केवल मौत दी जायेगी। 

Wednesday, December 19, 2018

सोनू निगम जिहादियों और उनकी फंडिंग से चलने वाले फिल्म जगत जैसे बड़े स्लीपर सैल के निशाने पर क्यों ?

सोनू निगम। -फाइल


कुछ रोज पहले भारत  के सबसे बेहतर गायक सोनू निगम को कहना पड़ा की की फिल्म जगत में उन्हें काम मिलना बंद हो गया है और यदि वह पाकिस्तानी होते तो फिल्म जगत उन्हें खूब काम देता। 

"कुछ इंस्टेंट वाली जेनेरेशन के टटपुँजिये सलाह दे रहे है की पाकिस्तान चले जाइये"

अब दोगली मानसिकता का दीमक समान्य टटपुँजियो में भी लग गया है।  कुछ वर्ष पहले आमिर खान और मिमियाने वाले एक और खान ने भारत को असुरक्षित बताया था तब लोगो ने पाकिस्तान जाने की सलाह दी थी तो यह भाड़े से पनपे दीमक रूपी प्रजाति शोर मचा रही थी तब अभिव्यक्ति की आजादी, असुरक्षा का भाव और न जाने कहाँ - कहॉं और किस - किस में कमियां गिना रहे थे. लेकिन जैसे ही सोनू निगम बोले तब यह उन्हें पाकिस्तान भेज रहे है आखिर ऐसी दोहरी मानसिकता क्यों ?
सोनू निगम ने क्या गलत ? भारतीय फिल्म जगत में भारतीय कलाकारों की अनदेखी कर पाकिस्तानी कलाकारों को काम देना किस नीति का हिस्सा है कोई समझा नहीं पाया आज तक, फवाद खान और वीना मलिक को आर्थिक रूप से मजबूत करने का परिणाम भारत को गाली देकर समझाया लेकिन भारत के लोगो को समझ नहीं आया आखिर खुद को महान दिखाना है दुनिया के समाने।

सोनू निगम जिहादियों और उनकी फंडिंग से चलने वाले फिल्म जगत जैसे बड़े स्लीपर सैल के निशाने पर तब आये जब अजान को लेकर उन्होंने विरोध किया और अपना तर्क भी दिया, जबकि सही मायने में वह बयान किसी एक धर्म के लिए नहीं अपितु सबके लिया था लेकिन परेशानी केवल जिहादी जमात को हुई  बदला लेने के लिए दाऊद गैंग उतारू है। 

https://www.bhaskar.com/maharashtra/mumbai/news/sonu-nigam-says-wish-i-were-from-pakistan-01402697.html

Tuesday, December 18, 2018

कब तक द्वन्द सम्हाला जाए

कब तक द्वन्द सम्हाला जाए,
युद्ध कहाँ तक टाला जाए ।
वंशज है महाराणा का..
चल फेंक जहाँ तक भाला जाए ।

अब मनोकामना पूरी कर दो,
रक्त चटाकर तलवारों को..
महारुद्र को शीश नवाकर,
नव अश्वमेध कर डाला जाए।

निरीहों को जीवन देना,
परन्तु पृष्ठ-आघात अक्षम्य रहे।
प्रखर समर के बीचोबीच..
ऐसा रणघोष बजा डाला जाए।

समस्त धरा कुरुक्षेत्र बना,
इतनी सामर्थ्य जुटा फिर से।
असुरों का सर्वस्व् मिटा, ताकि
कहीं..पुनः अधर्म न पाला जाए।

हे पार्थ ! अब गाण्डीव उठा,
लक्ष्य पे दृष्टि अड़ाकर रख।
प्रथम ध्वनि संकेत मिले...
और लक्ष्यभेद कर डाला जाए।
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Monday, October 22, 2018

सनातन धर्म के सम्प्रदाय व उनके प्रमुख ‘मठ’ और ‘आचार्य’



हिन्दू धर्म में वेदान्त विचार के आधार पर पांच प्रमुख वैदिक-सम्प्रदाय हैं।
1) श्रीमदाद्य शंकराचार्य के “अद्वैत” मत पर आधारित “शांकर-सम्प्रदाय“।
2) श्रीमद् रामानुजाचार्य के “विशिष्टाद्वैत” मत पर आधारित “श्रीसम्प्रदाय“।
श्रीसम्प्रदाय में ही श्रीमद् रामानंदाचार्य हुए व श्रीसम्प्रदाय की एक शाखा “रामानंद-सम्प्रदाय” हुई।
3) श्रीमन्मध्वाचार्य के ”द्वैत” मत पर आधारित “मध्व-सम्प्रदाय“।
इस सम्प्रदाय की एक शाखा “गौड़ीय-सम्प्रदाय” के रूप में उभरी।
4) श्रीमद्निम्बार्काचार्य के “द्वैताद्वैत” मत पर आधारित “निम्बार्क-सम्प्रदाय
5) श्री वल्लभाचार्य के “शुद्धाद्वैत” मत पर आधारित “वल्लभ-सम्प्रदाय“।
यह सनातन धर्म के पांच प्रमुख वैदिक-सम्प्रदाय हैं। इनमें से कई शाखा प्रशाखाएं भी निकलती हैं। इनमें से अंतिम चार वैष्णव-सम्प्रदाय हैं व प्रथम शांकर सम्प्रदाय में वैष्णव, शैव, शाक्त, गाणपत्य आदि सभी सम्मिलित हैं।
यह तो हुआ सम्प्रदायों का अत्यधिक सामान्य परिचय। पर इस पोस्ट को लिखने का उद्देश्य है कि इन पांच प्रमुख सम्प्रदायों की वर्तमान प्रमुख पीठों/मठों व उनपर प्रतिष्ठित आचार्यों की एक सूचि बनाई जाए। ताकि सब सनातन धर्म के प्रामाणिक मौलिक शीर्ष धर्मगुरुओं से परिचित हो सकें। मठ परंपरा की सनातन धर्म की रक्षा में महती भूमिका रही है। इसलिए उसका ज्ञान हर हिन्दू होना चाहिए। सम्प्रदायों की निरंतर प्रवाहमान गुरु परंपरा का केंद्र पीठ कहलाता है, व जहाँ उस सम्प्रदाय में दीक्षित ब्रह्मचारी आदि छात्र शिक्षा ग्रहण करते हैं वह मठ कहलाता है। सम्प्रदायों के मूल आचार्यों द्वारा सम्प्रदाय(सम्यक रूप से प्रदान) की रक्षा व निरंतरता हेतु पीठ/ मठ स्थापित किए गए थे। तो हम सम्प्रदायवार उनकी स्थिति जानते हैं।

शांकर सम्प्रदाय की प्रमुख पीठें और उनके आचार्य :-

शांकर सम्प्रदायकी चार प्रमुख पीठ हैं जिसपर प्रतिष्ठित आचार्य शंकराचार्य उपाधि विभूषित होते हैं। इसके अतिरिक्त श्रीकांचीकामकोटि पीठ भी बहुमान्य है।

1) पूर्वाम्नाय श्रीगोवर्धनपीठ, जगन्नाथपुरी

   शंकराचार्य स्वामी श्री निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज
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शंकराचार्य स्वामी श्रीनिश्चलानंद सरस्वती जी

2) दक्षिणाम्नाय श्रीशृंगेरी शारदापीठ, श्रृंगेरी

    शंकराचार्य श्री भारतीतीर्थ महास्वामी जी महाराज
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शंकराचार्य श्री भारतीतीर्थ महास्वामी जी

3) पश्चिमाम्नाय श्रीद्वारिकापीठ, द्वारका

    शंकराचार्य स्वामी श्रीस्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज
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शंकराचार्य स्वामी श्रीस्वरूपानंद सरस्वती जी

4) उत्तराम्नाय श्रीज्योतिर्मठ, जोशीमठ

शंकराचार्य स्वामी श्रीस्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज ( अतिरिक्त कार्यभार ) 
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शंकराचार्य स्वामी श्रीस्वरूपानंद सरस्वती जी

इसके साथ शांकर-सम्प्रदाय में आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित 13 अखाड़े व उनके पीठाधीश्वर भी होते हैं। व अन्य अनेक मठ पीठ आदि मूलतः उपर्युक्त पांच पीठों व अखाड़ों से ही सम्बद्ध होकर चलते हैं।

रामानुज श्रीसम्प्रदाय की प्रमुख पीठें और उनके आचार्य :-

  1. वानमामलै मठ, तिरुनेल्वेलि

   श्री मधुरकवि वानमामलै जीयर स्वामी
  1. श्रीरंगनारायण श्रीवैष्णव जीर मठ, श्रीरंगम

   श्रीरंगनारायण मुनि अय्यंगर जीयर
  1. कंडदै रामानुज मुनि अय्यंगर जीर मठ, श्रीरंगम

   कंडदै नारायण रामानुज मुनि जीयर
  1. अहोबिलम्, तिरुपति

   श्रीशतकोप श्रीरंगनाथ यतीन्द्र महादेसिकान
ahobilam
श्रीशतकोप श्रीरंगनाथ यतीन्द्र महादेसिकान


  1. श्रीकौशलेश सदन, अयोध्या

   रामानुजाचार्य विद्याभास्कर स्वामी श्री वासुदेवाचार्य जी
वासुदेवाचार्य
रामानुजाचार्य स्वामी श्री वासुदेवाचार्य जी
  1. अशर्फी भवन, अयोध्या

   रामानुजाचार्य स्वामी श्री श्रीधराचार्य जी

उपर्युक्त पीठें श्रीसम्प्रदाय की प्रमुख पीठें हैं, परन्तु इसके अतिरिक्त भी दक्षिण भारत में तिंगलै और वडगलै आदि उपशाखाओं के साथ श्रीसम्प्रदाय की मठ परंपरा विशेष रूप से बहुत विस्तृत है।

श्रीसम्प्रदायान्तर्गत रामानंद श्रीसम्प्रदाय की प्रमुख पीठें और उनके आचार्य :-

  1. श्री श्रीमठ, पंचगंगा घाट, काशी

   रामानंदाचार्य स्वामी श्री रामनरेशाचार्य जी महाराज
रामनरेशाचार्य
रामानंदाचार्य स्वामी श्रीरामनरेशाचार्य जी
  1. श्री तुलसी पीठ, चित्रकूट

   रामानंदाचार्य स्वामी श्री रामभद्राचार्य जी महाराज
रामभद्राचार्य
रामानंदाचार्य स्वामी श्रीरामभद्राचार्य जी
यह रामानंद श्रीसम्प्रदाय की प्रसिद्ध पीठ हैं, इसके साथ ही जयपुर स्थित श्रीत्रिवेणीधाम पीठ, जयपुर स्थित गलतापीठ, वृन्दावन स्थित मलूक पीठ व अयोध्या, चित्रकूट में रामानंदियों की बड़ी पीठें हैं, व 36 द्वारे हैं।

श्रीनिम्बार्क-सम्प्रदाय की प्रमुख पीठ और उनके आचार्य :-

1. श्री निम्बार्काचार्यपीठ, परशुरामपुरी, सलेमाबाद

    नित्यनिकुंजलीलाप्रविष्ठ निम्बार्काचार्य श्रीराधा सर्वेश्वरशरण श्री श्रीजी महाराज
निम्बार्काचार्य श्री श्रीजी महाराज
निम्बार्काचार्य श्रीराधासर्वेश्वरशरण श्री श्रीजी महाराज

श्रीमध्व-सम्प्रदाय की प्रमुख पीठें और उनके आचार्य :-

मध्व-सम्प्रदाय का केंद्र उडुपी है। श्रीमध्वाचार्य ने यहाँ ‘अष्टमठ’ यानि आठ मठों की स्थापना की थी। परंपरा के अनुसार उडुपी श्रीकृष्ण मन्दिर की पूजा सेवा बारी बारी दो वर्षों के लिए एक एक मठ के पास आती है। इस व्यवस्था को पर्याय कहते हैं। अष्टमठ और उनके विभूषित आचार्य निम्न हैं।
पालीमारू हृषिकेश मठ – मध्वाचार्य श्रीविद्याधीश तीर्थ स्वामीजी
अडमारू नरसिम्हा मठ – मध्वाचार्य  श्रीविश्वप्रिय तीर्थ स्वामीजी
कृष्णपुरा जनार्दन मठ – मध्वाचार्य  श्रीविद्यासागर तीर्थ स्वामीजी  
पुट्टिग उपेंद्र मठ – मध्वाचार्य  श्रीसुगुणेन्द्र तीर्थ स्वामीजी
शिरूर वामन मठ – मध्वाचार्य  श्रीलक्ष्मीवर तीर्थ स्वामीजी
सोडे विष्णु मठ – मध्वाचार्य  श्रीविश्ववल्लभ तीर्थ स्वामीजी
कनियूरू राम मठ – मध्वाचार्य  श्रीविद्यावाल्ल्भ तीर्थ स्वामीजी
पेजावर अधोक्षज मठ – मध्वाचार्य  श्रीविश्वेश तीर्थ स्वामीजी
वर्तमान पर्याय मध्वाचार्य श्रीपालिमारुपीठाधीश श्रीविद्याधीश तीर्थ जी के पास जनवरी 2018 से जनवरी 2020 तक रहेगा

गौड़ीय वैष्णव सम्प्रदाय के केंद्र :-

गौड़ीय सम्प्रदाय श्रीचैतन्य महाप्रभु जी से उद्भूत प्रसिद्ध है। वृन्दावन, बंगाल का नवद्वीप व जयपुर सम्प्रदायके प्रमुख केंद्र हैं। गौड़ीय परंपरा में चैतन्य महाप्रभु जी के शिष्य छः गोस्वामियों द्वारा स्थापित मंदिर इस प्रमुख हैं
  1. श्रीराधामदनमोहन जी मंदिर, वृन्दावन — श्री सनातन गोस्वामी
  2. श्रीराधागोविंददेव जी मंदिर, जयपुर — श्री रूप गोस्वामी
  3. श्रीराधागोपीनाथ जी मंदिर, वृन्दावन — श्री मधुपण्डित गोस्वामी
  4. श्रीराधादामोदर जी मंदिर, वृन्दावन — श्री जीव गोस्वामी
  5. श्रीराधाश्यामसुन्दर जी मंदिर, वृन्दावन — श्री श्यामानन्द गोस्वामी
  6. श्रीराधारमण जी मंदिर, वृन्दावन — श्री गोपाल भटट् गोस्वामी
  7. श्रीराधागोकुलानन्द जी मंदिर, वृन्दावन — श्री लोकनाथ गोस्वामी
इसके अतिरिक्त श्रील भक्तिवेदांत प्रभुपाद जी द्वारा स्थापित इस्कॉन भी गौड़ीय-सम्प्रदाय का प्रमुख संगठन है, जिसके देश विदेश में अनेक मन्दिर हैं

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श्रीवल्लभ सम्प्रदाय की प्रमुख पीठें और उनके आचार्य :-

श्रीवल्लभ-सम्प्रदाय या पुष्टिमार्गी वैष्णव परंपरा का केंद्र राजस्थान का नाथद्वारा है, जहाँ श्रीनाथजी का मन्दिर स्थित है। सम्प्रदायकी 7 प्रमुख पीठें हैं, 
  1. श्रीमथुरेशजी– कोटा,
  2. श्रीविट्ठलनाथजी– श्रीनाथद्वारा,
  3. श्रीद्वारकाधीशजी– कांकरोली,
  4. श्रीगोकुलनाथजी– गोकुल,
  5. श्रीगोकुलचन्द्रमाजी– कामावन,
  6. श्रीबालकृष्णजी– सूरत एवं
  7. श्रीमदनमोहनजी– कामावन
इसके अतिरिक्त महाप्रभु श्रीवल्लभाचार्य जी ने जिन 84 स्थानों पर श्रीमद्भागवत का पारायण किया, वे 84 स्थान भी बैठकजी नाम से सम्प्रदायके अनुयायियों में प्रसिद्ध हैं
श्रीनाथ जी


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सेना के जवान से दुर्व्यवहार करते एयरलाइंस।  =========== देश के लिए जान हथेली पर ले के जाने वाले सैनिकों से इस तरह की उगाही पर  रोक लगनी चाहि...