ब्राहमणो के धार्मिक हितो के लिये न तो कोर्ट है न ही संविधान और नहीं नेता या सरकार, क्योंकि संविधान बनाने वाले दलित मानसिकता से ग्रस्त थे।
जनेऊ का अपमान करने वाले लोगो ने केवल धर्मिक भावना वाले ब्राहमण को देखा है, भगवान परशुराम को भूल गए है शायद। हरिजन एक्ट बना लेकिन कर वैसे ही एक हथियार थमा दिया धूर्तो के हाथो में जैसे कश्मीर में धारा ३७० है , हरिजन एक्ट कमजोर और पिछड़े दलितों के लिये बना लेकिन वो हाथ आया मजबूत, मौकापरस्त, लालची दलितों के | अब उस हथियार के अहंकार में मानसिक रूप से अपंग दलित उसका दुरूपयोग कर रहे है |
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