बिहार में सरकार का नहीं आतंकियों का राज्य : मुख्यमंत्री हुये लादेन , उप मुख्यमंत्री बने छोटू जिहादी सरकार को संरक्षण प्राप्त हुआ गैया के भक्षक |
मधुबनी में नैंसी झा की 12 वर्ष की मसूम बच्ची की अपहरण से लेकर जिस बेरहमी से हत्या की गई वह बिहार पुलिस , सरकार और समाज की घिनौनी सूरत दिखाता है |
जिस सरकार को लोगो ने समर्थन और विश्वास दिया उसमे अपराध और अत्याचार समझौता करते हुए फिर से उन्ही दरिंदो के हवाले कर दिया जिससे परेशान जनता ने अपना विश्वास किसी और को दिया लेकिन अपनी महत्वकांशा और व्यक्ति विरोध में अंधे लोगो ने उस विश्वास की धज्जियाँ उड़ा दी |
एक छोटे से गाँव में अपहरण हो जाये और पुलिस परिवार को कैसे प्रताड़ित करती है इसका हुनर सिखाने के लिए बिहार की पुलिस सक्षम है, बच्ची न तो दलित है न मुस्लिम अन्यथा अब तक नेताओ और मानवतावादी झण्डा उठाने वाले वामपंथी , सामपंथी और दामपंथी पाखंडी मोमबत्ती लेकर छाती पीटने लगते और नरेंद्र मोदी को गालियाँ देते और टीवी चैनल 24 *7 उसको दिखाते और इंसाफ माँगते | संभवतः थाने से लेकर डीजीपी और मंत्रालय तक एक दूसरे को सजा देने में लग जाते लेकिन बच्ची सामान्य वर्ग से हो तो कोई समस्या नहीं है तेजाब से जलाओ या आग से रेप करो या अमानवीय व्यवहार कोई पूछने वाला नहीं है |
नितीश को दुबारा वोट करने वाले लोगो के हाथ काट देने चाहिये क्या उन्हें पहली बार में समझ नहीं आया की वह किस मानशिकता से ग्रस्त है , जो मुख्यमंत्री केवल अपने वर्ग के लोगो को देखता हो क्या जिस संविधान की वह शपथ लेता है उसका अपमान नहीं करता और उसके बदले सजा मिलनी चाहिये या नहीं फिर भी बिहार के लोगो ने दुबारा वोट किया और इस बार तो पहले से बेहतर कार्य हो रहा है लालटेन के युग में पुनः वापसी पर समस्त बिहार की जनता को बधाई मिलनी चाहिये |
एक मुहावरा है "बोया पेड़ बाबुल का तो आम कहाँ से होय" बिहार की जनता के लोगो के लिए उचित लगता है वर्तमान परिस्थिति में लेकिन बोये लोग और भोगे सारी जनता |
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