Friday, July 08, 2016

रविश द्वारा एम जे अकबर को लिखा गया भावनात्मक पत्र साहनुभूति की भिक्षा

Ravish Kumar NDTV द्वारा एम जे अकबर को लिखा गया भावनात्मक पत्र केवल इसलिए लिखा गया ताकि लोगो की साहनुभूति की भिक्षा प्राप्त कर सके !
रविश कोई पहले और एकमात्र पत्रकार नही है जिन्हें यह सब सुनने को मिला, लेकिन उनको यह दर्द क्यों जागा आज उसके कुछ कारण है ?
क्या रविश, राजदीप, बरखा, आशुतोष,खेतान,सागरिका,प्रणवराय, को उनके एक पार्टी के पक्षधर हो कर पत्रकारिता करने पर आलोचनाओ का अवसर प्राप्त हुआ है| लेकिन रविश ने माँ शब्द का प्रयोग किया क्योंकि भावनात्मक रूप से लोगो को बरगला सके, लेकिन क्या रविश ने कभी एक पत्र उन लोगो के नाम लिखा जो उनके वामपंथी,केजरीपंथी,कांग्रेसपंथि और रविशपंथि विचारधारा के अंधभक्तो ने रोहित सरदाना, सुधीर चौधरी, Smriti Zubin Irani , Narendra Modi और उन करोड़ो भारतीय युवाओ, जवानों और राष्ट्रीय हित में बोलने वाले युवाओ - युवतियों के लिए बेहद अपमानजनक शब्दों, गालियों, बेबुनियादी आरोपों का पूरा रसायन विज्ञानं से भी अधिक जटिल पुस्तक लिख दी तब आपकी प्रतिक्रिया क्यों नही आई ?
जब देश विरोधी नारे लगे तब अपने ही एक पत्रकार का विरोध किया क्योंकि उसने वामपंथियों को मुहतोड़ जवाब दिया था तब आपने दोहरे मापदंड अपना कर पत्रकारिता को कलंकित किया !
केवल नकारात्मक भाव दिखाना आपकी प्राथमिकता है, लंबे समय से Ravish Kumar NDTV के प्राइम टाइम का दर्शक रहा हूँ , लेकिन दोहरी मंशिकता की पत्रकारिता कोदेखते हुए टीवी का चैनल बदलना पड़ता है ऐसा अनेको लोगो को करते देखा है तब आप कहने लगे टीरापी का राग और याद आया की ये सब
भाजपा, संघ, मोदी के समर्थक है तो बता दू की यही संघ,भाजपा,मोदी सर्मथक आपकी टीरपी बनाते थे तब अच्छे लगते थे लेकिन आपकी गंदी स्तर की पत्रकारिता का स्वरुप आपको दिखाने लगे तो आज वो सभी लोग बुरे हो गये और आज जब टीरपी आनी बंद होगई तब आपको यह दर्शाने की जरुरात आन पड़ी कीआप टीरपी की पत्रकारिता नही करते, लेकिन विषय गंभीर है की आपने कभी आत्ममंथन किया है क्या ? की ऐसा क्यों हुआ क्यों जो लोग कल तक समर्थक थे आज आलोचक हो गये, केवल भावनात्मक पत्र लिखने से सही और गलत का भेद नही मिट जाता |
रोहित सरदाना के पत्र को पढिये आपके पत्रकार होने की गलतफहमी दूर हो जाएगी, क्योंकि वो पत्र पढना आपके लिए इसलिए भीआवश्यक है क्योंकि यह आपको समझ आये की पत्रकारिता और दलाली में क्याअंतर होता है ! 
अपने जमीर को मार कर झूठ का प्रचार करना पत्रकारिता नही !
अपनी माँ आ आदर सभी करते है लेकिन भारत माँ राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में है उसका अनादर करना आपको शोभा नही देता आप एक अच्छे पत्रकार है , अपनी माँ का सम्मानजरुर कीजिये लेकिन दुसरे की माँ का अपमान करने का आपका भाव आपकी माँ के द्वारा दिए संस्कारो का अपमान है , अधिक लिखने की आवश्यकता नही आप बुद्धिजीवी है सब समझते है और विश्लेष्ण भी अच्छा कर लेते है तो इस पत्र का उत्तर अवश्य दीजियेगा विशेषरूप से यह की किन कारणों से आप राष्ट्र्विरोधियो और चोरो का सच दिखाने वाले अर्नब, रोहित, सुधीर के धुरविरोधी है और उनके भी जो भारत माता की जय बोलते है और लाल सलाम का नारा बुलंद नही करते |
वन्दे मातरम् - भारत माता की जय
आपका
शुभ चिंतक
राकेश पाण्डेय




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