पाकिस्तान से आये हिन्दुओ के स्वागत समाहरोह में
विश्व हिन्दू परिषद के अंतराष्ट्रीय संरक्षक मनानिये अशोक जी सिंघल और
मेरे पीछे श्री अनिल जी मेरे साथी जो संघ के और हिंदुत्व के सच्चे सेवक है |
सच्चे मायने में जीवन ऐसा हो जिससे देश और समाज को लाभ हो , स्वयं को बेहद सौभाग्यशाली मानता हूँ की बहुत कम समय में ऐसे महापुरुषों के दर्शन हुए जो एक आदर्श है और जिन्होंने अपना सर्वत्र राष्ट्र और समाज के लिए न्योछावर कर दिया, अशोक जी का जीवन बेहद सादा जीवन है ऐसा मैंने स्वयं देखा है और समझा है , अशोक जी सिंघल का सम्पूर्ण जीवन समाज कल्याण के लिए समर्पित रहा , पहले संघ के प्रचारक ( जो सम्पूर्ण समय संघ के कार्यो के लिए देते है और अविवाहित होते है ) के रूप में फिर विश्व हिन्दू परिषद् ( विहिप) के महामंत्री के रूप में बाबरी को ध्वस्त करने का श्रेय फिर विहिप के अंतराष्ट्रीय अध्यक्ष और अब विहिप के संरक्षक के रूप में इश आयु में भी सक्रिय है , अपने जीवन के प्रत्येक दयेत्व को पूरी निष्ठा से पूर्ण किया ।
उनके इतना निकट होना मेरे लिए सौभाग्य की बात है ऐसा लगा मानो युग पुरुष स्वयं आपके सम्मुख प्रकट हो गया और अपना सम्पूर्ण स्नेह आपके लिए लुटा रहा हो केवल चार पग चलने मात्र से जीवन का महत्व समझ गया की जीवन न केवल अपने लिए अपितु समाज - राष्ट और धर्म के लिए समर्पित करने वाले का जीवन सही मायने में जीवन है , स्वयं के लिए सब करते है ।
सच्चे मायने में जीवन ऐसा हो जिससे देश और समाज को लाभ हो , स्वयं को बेहद सौभाग्यशाली मानता हूँ की बहुत कम समय में ऐसे महापुरुषों के दर्शन हुए जो एक आदर्श है और जिन्होंने अपना सर्वत्र राष्ट्र और समाज के लिए न्योछावर कर दिया, अशोक जी का जीवन बेहद सादा जीवन है ऐसा मैंने स्वयं देखा है और समझा है , अशोक जी सिंघल का सम्पूर्ण जीवन समाज कल्याण के लिए समर्पित रहा , पहले संघ के प्रचारक ( जो सम्पूर्ण समय संघ के कार्यो के लिए देते है और अविवाहित होते है ) के रूप में फिर विश्व हिन्दू परिषद् ( विहिप) के महामंत्री के रूप में बाबरी को ध्वस्त करने का श्रेय फिर विहिप के अंतराष्ट्रीय अध्यक्ष और अब विहिप के संरक्षक के रूप में इश आयु में भी सक्रिय है , अपने जीवन के प्रत्येक दयेत्व को पूरी निष्ठा से पूर्ण किया ।
उनके इतना निकट होना मेरे लिए सौभाग्य की बात है ऐसा लगा मानो युग पुरुष स्वयं आपके सम्मुख प्रकट हो गया और अपना सम्पूर्ण स्नेह आपके लिए लुटा रहा हो केवल चार पग चलने मात्र से जीवन का महत्व समझ गया की जीवन न केवल अपने लिए अपितु समाज - राष्ट और धर्म के लिए समर्पित करने वाले का जीवन सही मायने में जीवन है , स्वयं के लिए सब करते है ।
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