Wednesday, April 10, 2013

नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा विक्रम संवत् 2070, तदनुसार 11 अप्रैल 2013 को इस सृष्टि की 1,96,08,53,144 वीं वर्षगांठ के अवसर पर सभी मित्रों की हार्दिक शुभकामनाएँ । नववर्ष का स्वागत में हवन करें..
 
 
 हिन्दू ऋषि -मनीषियों द्वारा काल की गणना कितने सूक्षम स्तर पर की है आईये जाने अपने गौराव्पुरण इतिहास की अनमोल धरोहर को -

समय की छोटी इकाईयों में -
1 पूर्ण दिन (दिन व रात्री) = 60 घटी = 24 होरा
1 घटी = 60 पल = 24 मिनिट
1 पल = 60 विपल = 24 सेकेंड
1 विपल = 60 वलिप्त
1 वलिप्त = 60 पर
1 पर = 60 तत्पर

समय की दैनिक इकाईयां-
7 दिन = 1 सप्ताह
15 दिन = 1 पक्ष /कृष्णपक्ष /शुक्लपक्ष
2 पक्ष = 1 माह
2 माह = 1 ऋतु
6 ऋतु = 1 वर्ष
2 आयन = 1 वर्ष /
100 वर्ष = 1 शताब्दी

समय की बडी इकाईयों में -
सतयुग = 17,28,000 वर्ष , त्रेतायुग= 12,96,000 वर्ष
द्वापरयुग= 8,64,000 वर्ष, कलयुग= 4,32,000 वर्ष

इन चारों युगों के जोड को महायुग कहा जाता है।

महायुग =43,20,000वर्ष, 71 महायुग = 1 मनवंतर

14 मनवंतर व संधिकाल = 1000
1000महायुग = 1 कल्प
1000 महायुग = 1 कल्प = 432 करोड वर्ष
1 ब्रह्मदिवस = 2 कल्प (1 कल्पदिन व 1 कल्परात)
= 864 करोड वर्ष
360 बह्म दिवसों (720 कल्प) का एक ब्रह्म वर्ष
1000 ब्रह्म वर्षों, ब्रम्हा की आयु मानी जाती है।

कुल मिलाकर ब्रह्माण्ड और उसमें व्याप्त उर्जा अनंत है, न तो उसका प्रारम्भ ज्ञात हो सकता न अंत हो सकता। यह सतत व निरंतर है, मगर वर्तमान ब्रह्माण्ड संदर्भ में जो पूर्वजों द्वारा खोजी गई आयु और अंत की वैज्ञानिक खोज है, उसी का नाम संवत्सर की कालगणना है। 
 
 

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