Thursday, January 09, 2014

भारत के सभी अमरीकी दूतावासों को सभी वाणिज्य गतिविधियां १ ६ जनवरी २ ० १ ४ से रोकने का आदेश भारत सरकारने दिया है।
India asks US Embassy & Consulates to STOP all Commercial activities from January 16, 2014. भारत के सभी अमरीकी दूतावासों को सभी वाणिज्य गतिविधियां १ ६ जनवरी २ ० १ ४ से रोकने का आदेश भारत सरकारने दिया है। Details: NEW DELHI: In further retaliatory steps over the arrest of diplomat Devyani Khobragade, India has asked the US to "discontinue" commercial activities being undertaken from its embassy premises in New Delhi by January 16.

India's action comes ahead of the January 13 deadline for the indictment in New York of Khobragade, deputy consul general in New York, on visa fraud charges.

Acting tough, the government has asked the embassy to stop commercial activities undertaken under the aegis of the American Community Support Association (ACSA), including restaurant/bar, video club, bowling alley, swimming pool, sports field, beauty parlour and gym.

The US has also been asked to provide the tax returns filed by it with Indian authorities for commercial activities which are afforded through ACSA to non-diplomatic persons, including private American citizens and their families, government sources said.

Indian authorities have cited the provision of such commercial facilities to non-diplomats as a violation of Article 41(3) of the Vienna Convention on Diplomatic Relations 1961.

The convention states that "the premises of the mission must not be used in any manner incompatible with the functions of the mission as laid down in the present convention or by other rules of general international law or by any special agreements in force between the sending and the receiving State."

It is also understood the US diplomatic vehicles will now attract penalties for all traffic-related offences such as unauthorized parking, red light jumping, dangerous driving, etc.

Necessary action against Vehicles with AF (Applied for) number plates is also on the cards.

India asks US Embassy & Consulates to STOP all Commercial activities from January 16, 2014. भारत के सभी अमरीकी दूतावासों को सभी वाणिज्य गतिविधियां १ ६ जनवरी २ ० १ ४ से रोकने का आदेश भारत सरकारने दिया है। Details: NEW DELHI: In further retaliatory steps over the arrest of diplomat Devyani Khobragade, India has asked the US to "discontinue" commercial activities being undertaken from its embassy premises in New Delhi by January 16. India's action comes ahead of the January 13 deadline for the indictment in New York of Khobragade, deputy consul general in New York, on visa fraud charges. Acting tough, the government has asked the embassy to stop commercial activities undertaken under the aegis of the American Community Support Association (ACSA), including restaurant/bar, video club, bowling alley, swimming pool, sports field, beauty parlour and gym. The US has also been asked to provide the tax returns filed by it with Indian authorities for commercial activities which are afforded through ACSA to non-diplomatic persons, including private American citizens and their families, government sources said. Indian authorities have cited the provision of such commercial facilities to non-diplomats as a violation of Article 41(3) of the Vienna Convention on Diplomatic Relations 1961. The convention states that "the premises of the mission must not be used in any manner incompatible with the functions of the mission as laid down in the present convention or by other rules of general international law or by any special agreements in force between the sending and the receiving State." It is also understood the US diplomatic vehicles will now attract penalties for all traffic-related offences such as unauthorized parking, red light jumping, dangerous driving, etc. Necessary action against Vehicles with AF (Applied for) number plates is also on the cards.

- Source
Hindu news network
#rakeshpandeyvhp
“ख्वाजा मोईनउद्दीन चिश्ती”(अजमेर शरीफ का सच)

क्या आप जानते हैं का भारत भूमि पर आने
वाला अधिकांश पाकिस्तानी राजनैतिक अजमेर
शरीफ पर क्यों जाना चाहता है जी हाँ यह एक
अजीब लेकिन बेहद कठोर सत्य है का भारत
भूमि पर आने वाला अधिकांश
पाकिस्तानी राजनैतिक व्यक्ति अजमेर शरीफ
जाने की इच्छा जरूर रखता है दरअसल
इसका कारण कोई राजनैतिक नही शुद्ध रूप से
धार्मिक है और वे अजमेर शरीफ इसीलिए
जाना चाहते हैं कि वो ख्वाजा मोइद्दीन
चिश्ती के इस्लाम के प्रति किये गए
वफादारी और हिन्दू को बरगला कर सेकुलर
बनाने के लिए वे मोइद्दीन
चिश्ती का शुक्रिया अदा कर सकें.
इस बात को ठीक से समझने के लिए हमें
हिन्दुराष्ट्र भारत और मोइद्दीन
चिश्ती का इतिहास समझना होगा हुआ कुछ इस
तरह कि सातवीं शताब्दी के मुहम्मद बिन
कासिम और उसके बाद महमूद गजनवी तथा मुहम्मद
गौरी तक मध्य एशिया के किसी भी मुस्लिम
आक्रमणकारी के लाख प्रयासों के बाद
भी उनका भारत भू को कब्जाने और इसे
मुस्लिम राष्ट्र बनाने का स्वप्न
पूरा नही हुआ और अगर हम ख्वाजा मुइउद्दीन
चिश्ती के खंड काल पर दृष्टि डालें
तथा तथ्यों को ध्यान से देखें
तो पता चलता है कि चिश्ती वह संत था,
जो मुहम्मद गौरी के साथ भारत
आया था यहाँ यह बात निर्विवाद सत्य है
की भारत भूमि पर हुए अनेकों आक्रमण और
अत्याचारों के बाद भी भारतीय हिन्दू धर्म
और संस्कृति लोप नही किये जा सके. इसीलिए
भारतीय हिन्दू धर्म और संस्कृति को नष्ट
करने के लिए सांस्कृतिक आक्रमण
का सहारा लिया गया जैसा कि आज
भी लिया जा रहा है जिसमे मीडिया, चर्च,
राजनैतिक पार्टियां, लव जिहाद
इत्यादि चिश्ती भारतीय हिन्दू धर्म और
संस्कृति को नष्ट करने के लिए चलाये गए
सांस्कृतिक आक्रमण का प्रथम
उपयोगकर्ता था या फिर यूँ कहें
कि चिश्ती भारत के लिए पहला सांस्कृतिक
आक्रमणकारी था हालाँकि मोइद्दीन
चिश्ती को एक संत के रूप में प्रस्तुत
किया जाता रहा है परन्तु मुहम्मद गौरी जैसे
एक दुर्दांत व्यक्ति के साथ संत माने जाने
वाले व्यक्ति का होना बहुत सी शंकाओं
को जन्म देता है आखिर एक संत (यदि वह संत
है ) एक दुर्दांत रक्त पिपासु के साथ
लंबी यात्रा कर के लाहौर से अजमेर तक
पहुंचा और रास्ते मे हुए कत्ल-ए-आम से
उसका संतत्व उसे जरा भी ना कटोचे यह कैसे
संभव है?
यहाँ में याद दिलाना चाहूँगा कि हम हिन्दू
सदा से ही संत व्यक्तियों जो परोपकार हेतु
जीते हैं को सम्मान देता आया है और, उन्हें
आस्था और श्रद्धा की दृष्टि से देखते आये
हैं हमारे इसी मानसिकता का लाभ सर्वप्रथम
उस चिश्ती ने उठाया, ( जैसे कि इस
मानसिकता का लाभ ईसाई मिशनरियां आज
भी उठा रही हैं, और परोपकार की आड मे धर्म
परिवर्तन का कार्य कर रही हैं) उसी तरह अपने
प्रसिद्ध होने और लोगो की आस्था का उपयोग
चिश्ती ने भारत मे मुस्लिमों के लिये बेस
बनाने के लिये किया चिश्ती ने अजमेर मे
अपना आश्रम खोला जहां प्रत्येक
व्यक्ति को भोजन की व्यवस्था की गई
क्योंकी चिश्ती जानता था कि जब तक
भारतीय अपनी संस्कृति से जुडे रहेंगे तब तक
उन्हे पराजित करना असंभव है अतः उसने
सर्वप्रथम यह किया कि हिंदू और
मुस्लिमों के बीच मे एक कडी के रूप मे जुड
गया और यह तभी संभव था जब वह हिंदुओं के
बीच मे मान्यता प्राप्त कर लेता.

मुहम्मद बिन कासिम और उसके बाद महमूद
गजनवी और फिर मुहम्मद गौरी तक मध्य एशिया के
किसी भी आक्रमणकारी का भारत
भूमि को कब्जा करने का स्वप्न पूरा नही हुआ था.
ये लोग भारत में आकर कई बार लूटपाट करने और
खूनखराबा करने में अवश्य कामयाब हो गए थे लेकिन
भारत पर शासन करना इनके लिए केवल एक
सपना ही था. इस्लामी हम्लाबरों का यह
सपना पूरा हो सका था, केवल
“ख्वाजा मोईनउद्दीन चिश्ती” की बजह से.
“ख्वाजा मोईनउद्दीन चिश्ती” के कालखंड पर
दृष्टि डालें और तथ्यों को देखें तो पता चलता है
कि -चिश्ती वह संत थे, जो मुहम्मद गौरी के साथ
भारत आये थे. मुहम्मद गौरी जैसे एक दुर्दांत
व्यक्ति के साथ संत माने जाने वाले
व्यक्ति का होना कुछ शंकाओं को जन्म देता है.
आखिर एक संत (?) एक दुर्दांत रक्त पिपासु के साथ
लंबी यात्रा कर के अजमेर तक पहुंचे और रास्ते मे हुए
“कत्ल ए आम” से उसका संतत्व, उसे जरा भी न
धिक्कारे, यह कैसे संभव है ?
भारत भूमि पर हुए अनेकों आक्रमण और
अत्याचारों के बाद भी भारतीय धर्म और
संस्कृति लोप नही की जा सकी तो इसको नष्ट
करने हेतु सांस्कृतिक आक्रमण
का सहारा लिया गया, जिसकी शुरुआत
“ख्वाजा मोईनउद्दीन चिश्ती” ने की थी. (आज
भी ईसाई मिसनरियां और माओवादी जैसे संगठन
सेवा और मदद के नाम पर धर्मपरिवर्तन या आतंकवाद
फैलाने मे लगे हैं) हिंदुओ में अपनी में अपनी पहुँच बनाने
के लिए “चिश्ती” ने अजमेर मे अपना आश्रम खोला,
जहां प्रत्येक व्यक्ति को भोजन
की व्यवस्था की गई.
भारतीय संस्कृति मे पले बढे हिंदू
“परोपकारी व्यक्ति” को सदैव ही आस्था और
श्रद्धा की दृष्टि से देखते आये हैं.
इसी मानसिकता का लाभ सर्वप्रथम चिश्ती ने
उठाया. वह जानते थे कि – जब तक भारतीय लोग
अपनी संस्कृति से जुडे रहेंगे, तब तक उन्हे पराजित
करना असंभव है. अतः उन्होंने सर्वप्रथम यह
किया कि हिंदू और मुस्लिमों के बीच मे एक
कडी के रूप मे जुड गये और अपने आपको एक
चमत्कारी सूफी संत के रूप मे प्रचारित करना आरंभ
किया, धीरे -धीरे उनका हिन्दुओं में बहुत प्रबाव
हो गया.
हिंदू समाज मे लोकप्रिय हो जाने के बाद,
चिश्ती ने अपनी लोकप्रियता लाभ “मुहम्मद गौरी”
को दिया. चिश्ती का यह कहना कि – “मैने अजमेर
की चाबी कहीं और सौंप दी है” शायद गौरी के
लिए एक संकेत था . संकेत पाकर मुहम्मद गौरी ने
भारत पर पुनः आक्रमण किया और उस समय तक
जयचंद गौरी के साथ मिल चुका था.
ऐसा भी माना जाता है कि – गौरी से जयचंद
को मिलाने के पीछे भी चिश्ती का ही हाथ था.
अपनी विजय का श्रेय भी मुहम्मद गौरी ने
चिश्ती को ही दिया था.
गौरी ने आपने गुलाम सेनापति कुतुबुद्दीन एबक
को निर्देश दिया कि वहां मंदिरों को तोड कर
मस्जिद बनाई जाये. कुतुबुद्दीन ने चिश्ती के आश्रम
के पास के एक भव्य मंदिर को तोड़कर ढाई दिन में
मस्जिद का रूप दे दिया था. यह मस्जिद आज
भी “अढाई दिन का झोपडा” के नाम से
जानी जाती है. यदि चिश्ती एक महान संत थे,
तो उन्होंने यह कैसे बर्दाश्त कर लिया कि- कोई
किसी दूसरे के आस्था के स्थानों को तोड कर
वहां अपनी मस्जिदों का निर्माण करे ?
दुनिया में हिन्दुओं के अतिरिक्त शायद ही कोई
ऐसी कौम होगी, जो उनके देश को गुलाम बनबाने
बाले तथाकथित संत की अपने भगवान् की तरह
पूजा करे. सभी हिन्दुओं से निवेदन है कि – प्रस्तुत
लेख में बताई गई बातों को तथ्यों एवं
तर्कों की कसौटी पर परख कर, एक बार
अपनी आस्था की समीक्षा अवश्य करें |


ये है #ISRO वैज्ञानिक #Nambi_Narayanan साहब ,,,,, ये भारत की रॉकेट तकनीक में तरल ईंधन तकनीक को बढ़ावा देने तथा #Cryogenic_Engineका भारतीयकरण करने वाले अग्रणी वैज्ञानिक हैं.

इसरो वैज्ञानिक नम्बी नारायण ने केरल हाईकोर्ट में शपथ-पत्र दाखिल करके कहा है कि जिन पुलिस अधिकारियों ने उन्हें जासूसी और सैक्स स्कैंडल के झूठे आरोपों में फंसाया, वास्तव में ये पुलिस अधिकारी किसी विदेशी शक्ति के हाथ में खिलौने हैं और देश में उपस्थिति बड़े षड्यंत्रकारियों के हाथ की कठपुतली हैं. इन पुलिस अधिकारियों ने मुझे इसलिए बदनाम किया ताकि इसरो में #क्रायोजेनिक इंजन तकनीक पर जो काम चल रहा था, उसे हतोत्साहित किया जा सके, भारत को इस विशिष्ट तकनीक के विकास से रोका जा सके.

नम्बी नारायण ने आगे लिखा है कि यदि डीजीपी सीबी मैथ्यू द्वारा उस समय मेरी अन्यायपूर्ण गिरफ्तारी नहीं हुई होती, तो सन 2000 में ही भारत क्रायोजेनिक इंजन का विकास कर लेता. श्री नारायण ने कहा, “तथ्य यह है कि आज तेरह साल बाद भी भारत क्रायोजेनिक इंजन का सफल परीक्षण नहीं कर पाया है. केरल पुलिस की केस डायरी से स्पष्ट है कि “संयोगवश” जो भारतीय और रशियन वैज्ञानिक इस महत्त्वपूर्ण प्रोजेक्ट से जुड़े थे उन सभी को पुलिस ने आरोपी बनाया”. 30 नवम्बर 1994 को बिना किसी सबूत अथवा सर्च वारंट के श्री नम्बी नारायण को गिरफ्तार कर लिया गया. नम्बी नारायण ने कहा कि पहले उन्हें सिर्फ शक था कि इसके पीछे #अमेरिका की ख़ुफ़िया एजेंसी #CIAहै, लेकिन उन्होंने यह आरोप नहीं लगाया था. लेकिन जब #आईबी के अतिरिक्त महानिदेशक रतन सहगल को #IB के ही अरुण भगत ने #सीआईएके लिए काम करते रंगे हाथों पकड लिया और सरकार ने उन्हें नवम्बर 1996 में सेवा से निकाल दिया, तब उन्होंने अपने शपथ-पत्र में इसका स्पष्ट आरोप लगाया कि देश के उच्च संस्थानों में विदेशी ताकतों की तगड़ी घुसपैठ बन चुकी है, जो न सिर्फ नीतियों को प्रभावित करते हैं, बल्कि वैज्ञानिक व रक्षा शोधों में अड़ंगे लगाने के षडयंत्र रचते हैं. इतने गंभीर आरोपों के बावजूद देश की मीडिया और सत्ता गलियारों में सन्नाटा है, हैरतनाक नहीं लगता ये सब?

,,,,,,,,,,,क्रायोजेनिक इंजन का यह प्रोजेक्ट कभी शुरू न हो सका, क्योंकि “अचानक” महान वैज्ञानिक नंबी नारायण को जासूसी और सैक्स स्कैंडल के आरोपों में फँसा दिया गया. नम्बी नारायणन की दो दशक की मेहनत बाद में रंग लाई, जब उनकी ही टीम ने “विकास” नाम का रॉकेट इंजन निर्मित किया, जिसका उपयोग इसरो ने PSLV को अंतरिक्ष में पहुंचाने के लिए किया. इसी “विकास” इंजन का उपयोग भारत के चन्द्र मिशन में GSLV के दुसरे चरण में भी किया गया, जो बेहद सफल रहा.

पूरा लेख Suresh Chiplunkar जी द्वारा लिखित इस ब्लॉग में पढ़े ,,,,
http://blog.sureshchiplunkar.com/2013/12/indian-space-programme-under-threat.html



Spicejet Against IndianArmy

सेना के जवान से दुर्व्यवहार करते एयरलाइंस।  =========== देश के लिए जान हथेली पर ले के जाने वाले सैनिकों से इस तरह की उगाही पर  रोक लगनी चाहि...